उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने गठबंधन के साथी समाजवादी पार्टी का साथ देने के लिए चुनावी रण से दूरी बनाने का फैसला किया है। ये पहली बार नहीं है, जब किसी दल ने सहयोगी पार्टी के लिए चुनाव से दूरी बनाई हो।

साल 1993 में देश के नौ राज्यों के विधानसभा चुनाव हुए थे। तब सपा ने भाजपा के खिलाफ कांग्रेस का साथ दिया था। हालांकि, यूपी में सपा ने कांग्रेस या किसी दूसरे दल से गठबंधन करने से इन्कार कर दिया था।

सपा द्वारा इंका से तालमेल का संकेत” शीर्षक से प्रकाशित खबर के मुताबिक, समाजवादी पार्टी के प्रधान महासचिव कपिल देव सिंह ने दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस पार्टी से चुनावी तालमेल करने का संकेत दिया था। उन्होंने स्पष्ट किया था कि जिन राज्यों में कांग्रेस भाजपा को हराने की स्थिति में है, उन राज्यों में सपा तालमेल कर सकती है।

यूपी में सपा-बसपा गठबंधन पर जताया था भरोसा

तब सपा ने उत्तर प्रदेश की स्थिति को अलग बताते हुए बसपा के साथ गठबंधन की बात की थी। कपिल देव सिंह ने कहा था कि हमारा गठबंधन उत्तर प्रदेश में भाजपा को हरा देगा। लिहाजा, राज्य में किसी भी दूसरे दल के साथ गठबंधन नहीं किया जाएगा।

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