उरई। दीपावली का पर्व 31 अक्तूबर (बृहस्पतिवार) को मनाया जाएगा। व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में स्वाति नक्षत्र में एक नवंबर को दोपहर एक बजकर 30 मिनट से तीन बजे तक लक्ष्मी पूजन कर सकते हैं। अपने आवास (घर) पर दीपावली का पूजन 31 अक्तूबर को ही करना अच्छा रहेगा।
आचार्य कपिल शास्त्री ने बताया कि दीपावली पर्व का उल्लेख पद्म पुराण व स्कंद पुराण में मिलता है। दीपावली शब्द दीप और आवली शब्द से बना हुआ है, जिसका अर्थ होता है दीपकों की पंक्ति। बुंदेलखंडी भाषा में दिवारी और दिवाली कहते हैं। दीपावली शरद ऋतु में कार्तिक के महीने की अमावस्या को हमारे देश में प्रतिवर्ष में मनाया जाने वाला पर्व है।
दिवाली के दिन सुबह शरीर में तिल का तेल लगाकर एवं जल में थोड़ा सा तेल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद किसी मंदिर में जाकर हनुमान जी दर्शन करना विशेष लाभकारी होता है। शाम को पुनः स्नान करके गणेश, लक्ष्मी व कुबेर आदि देवी देवताओं की पूजा करनी चाहिए। दिवाली पूजन के लिए शुभ मुहूर्त 31 अक्तूबर को प्रदोष काल का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त वृष लग्न में शाम छह बजकर 11 मिनट से रात्रि 8 बजकर 8 मिनट तक है। लक्ष्मीजी की विशेष पूजा एवं मंत्र आदि की सिद्धि के लिए महानिशा मध्य रात्रि में सिंह लग्न में 12 बजकर 39 मिनट से 2 बजकर 53 मिनट तक है।
ऐसे करें पूजा की तैयारी
दिवाली के दिन सुबह शरीर में तिल का तेल लगाकर स्नान करें। इसके बाद किसी मंदिर में जाकर हनुमान जी की पूजा करें। शाम के समय दोबारा स्नान कर गणेश-लक्ष्मी व कुबेर आदि देवी देवताओं की पूजा करें।