चन्द्रभान यादव, अमर उजाला, लखनऊ
Published by: रोहित मिश्र

Updated Tue, 05 Nov 2024 10:52 PM IST

Rahul Gandhi in Rae Bareli: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद पहली बार राहुल रायबरेली कि किसी सरकारी मीटिंग में शामिल हुए। इस मीटिंग में उनका स्टाईल बदला-बदला सा रहा। 


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Rae Bareli: Between silence and determination, Rahul enumerated the flaws of the system, made one realize that

रायबरेली में राहुल गांधी।
– फोटो : अमर उजाला।



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 लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी मंगलवार को पूरे रौ में दिखे। बिना सियासी बात किए वह बड़ा सियासी संदेश दे गए। उनका रायबरेली से जुड़ी 410 करोड़ की परियोजनाओं की जांच कराने का निर्देश देने और महिला हेल्पलाइन पर कॉल करने के सियासी निहितार्थ हैं। इसके जरिए उन्होंने सरकारी सिस्टम की न सिर्फ बखिया उधेड़ी बल्कि विपक्ष की भूमिका निभाते हुए ताकत का अहसास भी कराने का प्रयास किया। यह पूरी कवायद किसी न किसी रूप में उनके सियासी जमीं को मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा है।

अमेठी सांसद रहते वक्त आमतौर पर राहुल गांधी प्रशासनिक बैठकों से दूर रहे, लेकिन रायबरेली से सांसद चुने जाने के बाद वह लगातार यहां के लोगों से अपने रिश्तों की डोर मजबूत कर रहे है। युवक की हत्या होने पर मौके पर पहुंचते हैं तो मंगलवार को सिर्फ दिशा की बैठक में हिस्सा लेने आते हैं। न कार्यकर्ताओं के साथ बैठक और न ही उपचुनाव के मद्देनजर कोई जनसभा की। 

यह भी उनकी सियासी रणनीति का हिस्सा है। दिशा की बैठक और शहीद चौक व सड़क के उद्घाटन कार्यक्रम में हिस्सा लेकर उन्होंने अपनी जमीं पर उतरने की सियासत को आगे बढाया। यह संदेश देने का प्रयास किया है कि वह जनता से जुड़े छोटे- छोटे कार्यक्रमों में आने के लिए तैयार हैं। उनका महिलाओं के बारे में पूछना और उनसे जुड़ी हेल्पलाइन 181 पर फोन मिलाना, तीन बार कॉल करने के बाद भी कॉल न उठने पर अफसरों को लताड़ लगाना और विभिन्न कार्यों से जुड़़ी 410 करोड़ की 182 परियोजनाओं की गुणवत्ता की जांच कराने का निर्देश देने, उज्जवला के लाभार्थियों की रिपोर्ट तलब करना, मनरेगा के भुगतान की सूची मांगने के भी सियासी निहितार्थ हैं। वे इसके जरिए सरकारी सिस्टम की सिर्फ पोल ही नहीं खोलते हैं बल्कि खुद के चाहने वालों को यह भरोसा दिलाने की कोशिश है कि वे हर स्तर पर संघर्ष के लिए तैयार हैं।



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