प्रवेंद्र गुप्ता
लखनऊ। याद कीजिए 7 सितंबर की उस घटना को जिसने आठ लोगों की जान ले ली। ट्रांसपोर्टनगर में तीन मंजिला गोदाम भरभराकर ढह गया था। जिम्मेदारों की नींद टूटी। ऐसे हादसे न हों, इसलिए तय हुआ कि बिना सुरक्षा जांच के बहुमंजिला इमारतें नहीं बनेंगी। दिन बीते लखनऊ विकास प्राधिकरण सब कुछ भूल गया। बिना सुरक्षा जांच के बहुमंजिला इमारतें बन रही हैं। प्राधिकरण की जानलेवा लापरवाही जारी है।
आज 7 नवंबर है। पूरे के पूरे दो महीने ट्रांसपोर्टनगर हादसे को बीत गए। इससे भी पीछे चलें तो 24 जनवरी 2023 को वजीर हसन रोड पर अलाया अपार्टमेंट ढह गया था। दो लोगों की मौत हो गई थी। अलाया अपार्टमेंट हादसे के बाद पिछले एक साल में एलडीए बोर्ड सुरक्षा जांच के लिए दो बार प्रस्ताव भी पास कर चुका है।
ट्रांसपोर्टनगर हादसे के बाद तय हुआ कि एलडीए बहुमंजिला इमारतों की सुरक्षा जांच कराएगा। उनकी मजबूती को परखेगा। पता लगाएगा कि इमारत को बनाने में मानचित्र समेत सारे मानकों का पालन किया गया या फिर नहीं। इसके लिए विशेषज्ञ पैनल भी बनाया जाना था। यह भी तय हुआ कि नई बनने वाली इमारतों की जांच बनाने वाले खुद कराएंगे। पैनल उसका सत्यापन करेगा। अब तक न तो पैनल बना और न ही टीम बनाकर जांच शुरू कराई गई।
चिंता इसलिए भी…
गोदाम की मजबूती की रिपोर्ट नहीं दे पाया था एलडीए
ट्रांसपोर्टनगर में गोदाम ढहने के बाद मंडलायुक्त के निर्देश पर लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता (भवन) सीपी गुप्ता और अधीक्षण अभियंता जेपी सिंह की दो सदस्यीय टीम ने मौके पर जाकर जांच की थी। टीम ने मानचित्र के अलावा एलडीए से स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की रिपोर्ट भी मांगी थी। गोदाम कितना मजबूत बनाया गया था, इस रिपोर्ट से पता चलता। एलडीए ने टीम को मानचित्र तो दिया, लेकिन स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की रिपोर्ट नहीं दे पाया।
-रिपोर्ट नहीं मिलने पर टीम को यह कहना पड़ा कि यह तय कर पाना संभव नहीं है कि बिल्डिंग किस कारण ढही, क्योंकि 12-13 साल पहले ग्राउंड फ्लोर तक ही बिल्डिंग बनी थी। बाद में अतिरिक्त निर्माण के लिए जो कॉलम बनाए गए उनकी ऊंचाई चौड़ाई की तुलना में अधिक है। यह भी कहा गया कि बिल्डिंग का निर्माण बिना स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की जांच के किया गया।
एक महीने में शुरू होनी थी जांच, दो महीने बीते
13 सितंबर को एलडीए बोर्ड में बहुमंजिला इमारतों की जांच कराए जाने को लेकर दोबारा प्रस्ताव पास किया गया था। यह बताया गया था कि पुराने प्रस्ताव में कुछ संशोधन करके नया प्रस्ताव पास किया गया है। तब एलडीए सचिव ने बताया कि प्रस्ताव पास कर उसे मंजूरी के लिए शासन भेजा गया है। वहां से मंजूरी मिलने के बाद सेफ्टी ऑडिट कराने की व्यवस्था लागू की जाएगी। यह भी कहा गया कि एलडीए एक महीने में अपने स्तर पर इस व्यवस्था को लागू कर देगा, लेकिन दो महीने बीत गए और व्यवस्था शुरू नहीं हो पाई।
जांच हो तो बिल्डरों पर लागू हों ये नियम
एलडीए की बोर्ड बैठक में बहुमंजिला इमारतों की सुरक्षा जांच का जो प्रस्ताव पास हुआ था उसमें यह प्रावधान है कि बहुमंजिला इमारतें बनाने वाले बिल्डर को नक्शा पास कराते समय बिल्डिंग की उम्र भी बतानी होगी। बिल्डर, आर्किटेक्ट, स्ट्रक्चरल इंजीनियर और भूस्वामी को स्पष्ट तौर पर लिखित में बताना होगा कि कितने वर्ष तक बिल्डिंग पूरी तरह सुरक्षित रहेगी।
-15 मीटर या उससे अधिक ऊंची इमारतों की विशेषज्ञ (स्ट्रक्चरल इंजीनियर) से जांच कराना अनिवार्य किया गया है। प्रावधान में यह भी कहा गया है कि किसी भी योजना का कब्जा प्रमाणपत्र जारी होने के बाद पांच वर्ष तक यह जांच कराने का जिम्मा बिल्डर का होगा। जांच के लिए एलडीए प्रतिष्ठित स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट का एक पैनल बनाएगा। इसमें आईआईटी, एनआईटी, सेंट्रल यूनिवर्सिटी तथा सीएसआईआर सहित अन्य स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग से संबंधित रिसर्च इंस्टीट्यूट को शामिल किया जाएगा।
कोट
शासन से अभी कोई आदेश जारी नहीं हुआ है। उसका इंतजार हो रहा है। अग्निशमन सहित अन्य विभागों को भी शासन जांच में शामिल कर सकता है। फिलहाल एलडीए अपने स्तर पर टीम बनाकर जांच की कार्रवाई को आगे बढ़ाएगा।
विवेक श्रीवास्तव, सचिव, एलडीए
सरिया, सीमेंट और मौरंग का कम हुआ इस्तेमाल, इसलिए ढही बिल्डिंग
गुजरात नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी ने एलडीए को भेजी अंतरिम रिपोर्ट
माई सिटी रिपोर्टर
लखनऊ। ट्रांसपोर्टनगर में 7 सितंबर को ढहे गोदाम में सरिया, सीमेंट और मौरंग का मानक से कम इस्तेमाल किया गया था। यही नहीं मानचित्र के अनुसार निर्माण नहीं किया गया था। गुजरात नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी की इस रिपोर्ट के बाद बिल्डिंग मालिक की मुसीबतें बढ़ सकती हैं। टीम ने अभी अंतरिम रिपोर्ट एलडीए को भेजी है। फाइनल रिपोर्ट एक सप्ताह बाद आएगी।
ट्रांसपोर्टनगर में कुमकुम सिंघल की तीन मंजिला बिल्डिंग ढहने के बाद गुजरात की नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी की तीन सदस्यीय टीम जांच के लिए आई थी। प्रो.आरके शाह, एसोसिएट प्रोफेसर मेरूल वकील व प्रो. प्रवीण गुप्ता की ये टीम यहां पर दो दिन तक रही थी। टीम जांच के लिए बिल्डिंग के काॅलम, ईंट, सरिया व मलबा का नमूना ले गई थी।