Traders are not showing interest in green peas, farmers are in loss

खेत में हरी मटर को तोड़ते मजदूर। 
– फोटो : संवाद

मुहम्मदाबाद। बुंदेलखंड के किसानों की पहली पसंद हरी मटर ने इस बार आर्थिक रूप से कमजोर कर दिया है। लगातार घट रहे दामों से किसानों की लागत भी नहीं निकल रही है। इससे किसानों में मायूसी छाई हुई है। किसानों का कहना है कि बाहरी व्यापारियों ने शुरुआती समय में जब कुछ ही जगह पर मटर तैयार हुई थी। उस समय व्यापारियों ने साठ रुपये प्रति किलो तक खरीदारी की। लेकिन अब जब सभी किसानों की फसल तैयार हुई तो न तो व्यापारी आ रहे हैं और भाव भी 15 रुपये प्रति किलो ग्राम पर आ गया है। इससे किसान खासे परेशान हैं।

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बुंदेलखंड में जालौन जिले को हरी मटर का हब कहा जाता है। यहां किसान दो फसलों के चक्कर व अधिक मुनाफे के लिए अक्तूबर माह में ही हरी मटर की बुआई शुरू कर देते हैं। इससे किसान जनवरी माह तक मटर की तुड़वाई कर दोबारा से गेहूं या मूंग की फसल कर लेते हैं। लेकिन इस बार किसान अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। क्योंकि शुरुआती समय में जिन किसानों की फसल तैयार हो गई उन्हें करीब साठ रुपये प्रतिकिलो के हिसाब से दाम मिल गए। लेकिन जो फसल अब तैयार हुई है।

अगर किसान बेच रहे हैं तो उनकी लागत भी नहीं निकल रही है। किसानों का कहना है कि इस समय जिस मटर की फलियों की कीमत प्रति किलो चालीस रुपये होेनी चाहिए। वह इस समय 15 रुपये किलो बिक रही है। बाजार में भी अगर किसान मटर बेचने जा रहे हैं, तो इससे अधिक नहीं मिल पा रहा है। किसान तारिक हुसैन, राजू, हरपाल, विनोद, देवेंद्र आदि ने बताया कि इस बार शुरुआती समय में बाहरी व्यापारी मटर खरीदने आए। लेकिन तापमान में लगातार हो रही वृद्धि से वह भी आना बंद हो गए अब हालत यह है कि लागत निकालने में उनके पसीने छूट रहे हैं।

मजदूरी में जा रहा मुनाफा, लागत निकालने के पड़े लाले

किसान हाजी मुबीन का कहना है कि एक झल्ली मटर तोड़ने वाले मजदूर को 210 से लेकर 250 रुपये तक देना पड़ रहा है। जबकि पल्लेदार करीब पांच सौ रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से ले रहे हैं। वहीं 15 रुपये प्रति झल्ली अलग से लग रहा है। ऊपर से दो से तीन किलो प्रति झल्ली तुलाई में काट लिया जाता है। इससे बेंचने पर लागत भी नहीं निकल रही है।

तापमान ने दिया धोखा, व्यापारियों ने भी नहीं दिया साथ

किसान दिवाकर सिंह का कहना है कि शुरूआती समय में तापमान सही रहा। इससे मटर की फसल में अच्छी फलिया निकली। लेकिन लगातार तापमान के बढ़ने से पौधा व फलियां सूखने लगी। इससे पैदावार में कमी और ऊपर से दाम भी सही नहीं मिलने से घाटे का सौदा हो रहा है।



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