टहरौली (झांसी) – इक्रीसेट (इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स) के गवर्निंग बोर्ड के अध्यक्ष प्रो. प्रभु पिंगली ने टहरौली तहसील के 40 गांवों में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) के सहयोग से संचालित जल संरक्षण एवं कृषि सुधार परियोजना का अवलोकन किया। इस परियोजना का संचालन इक्रीसेट के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रमेश सिंह के नेतृत्व में किया जा रहा है। परियोजना के विभिन्न कार्यों की विस्तृत जानकारी देते हुए डॉ. सिंह (प्रधान वैज्ञानिक एवं क्लस्टर लीड, आईडीसी) ने अब तक की प्रगति और उसके प्रभाव पर प्रकाश डाला। डॉ. अनंता (प्रधान वैज्ञानिक) ने जल संरक्षण और कृषि सुधार कार्यों को पोस्टर प्रदर्शनी के माध्यम से प्रस्तुत किया। वहीं आर. के. उत्तम (सलाहकार) ने परियोजना के तहत किए जा रहे कार्यों की विस्तार से जानकारी दी। डॉ. अशोक शुक्ला (सहयोगी वैज्ञानिक) ने सर्वोत्तम कृषि पद्धतियों के प्रयोग से हुए सकारात्मक परिणामों पर चर्चा की। उन्होंने कृषिवानिकी के महत्व और इसके दीर्घकालिक लाभों पर भी प्रकाश डाला। परियोजना के अंतर्गत बीज कार्यक्रम के प्रभारी ललित पटेल ने किसानों को उन्नत बीजों और उनकी गुणवत्ता सुधार के प्रयासों के बारे में जानकारी दी।
*जल संरक्षण उपायों से कैसे बदला किसानों का जीवन*
अपने दौरे के दौरान प्रो. पिंगली ने किसानों से सीधी बातचीत कर उनकी समस्याओं को समझा और जाना कि हवेली प्रणाली, मेड़बंदी, तालाब निर्माण, नालों के गहरीकरण और चौड़ीकरण जैसे जल संरक्षण उपायों से भूमिगत जल स्तर में वृद्धि कैसे हुई है और इसका क्षेत्र की फसल उत्पादकता पर क्या प्रभाव पड़ा है। उन्होंने इस परियोजना के तहत गठित एन.आर.एम. (प्राकृतिक संसाधन संरक्षण) समिति और एफ.पी.ओ. (फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन) के निदेशक मंडल से भी मुलाकात की।
इस अवसर पर एन.आर.एम. समिति के अध्यक्ष आशीष उपाध्याय ने क्षेत्र में पहले से व्याप्त जल संकट और खेती से जुड़ी चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वर्षा जल संरक्षण उपायों से इन समस्याओं का स्थायी समाधान संभव हुआ है। वहीं एफ.पी.ओ. के चेयरमैन पुष्पेंद्र सिंह ने किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराने और उनके उत्पादन में हो रही वृद्धि के बारे में जानकारी दी।
*नोटा गाँव में तालाब निरीक्षण एवं किसानों से संवाद*
प्रो. पिंगली ने नोटा गाँव में निर्मित तालाब का निरीक्षण किया और स्थानीय किसानों से उनकी समस्याओं और इस जल संरचना के प्रभाव पर चर्चा की। इस दौरान गांव के किसान रामप्रकाश पटेल और प्रधान शंभूदयाल पटेल ने बताया कि तालाब निर्माण के बाद जल उपलब्धता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, जिससे बंजर भूमि भी कृषि योग्य बन गई है। उन्होंने बताया कि जल संरक्षण के इन प्रयासों से उनकी खेती की उत्पादकता और आजीविका में सकारात्मक बदलाव आया है।
ग्राम नोटा में इक्रीसेट के ई. ललित किशोर एवं ई. इंजीनियर दीपक त्रिपाठी ने परियोजना के तकनीकी पहलुओं की जानकारी दी। भ्रमण के दौरान इक्रीसेट की संपूर्ण टीम उपस्थित रही, जिनमें प्रमुख रूप से सुनील, शिशुवेंद्र, आनंद, विजय, शैलेन्द्र, सुरभि, अनिल, भरत, शिवाजी, सत्येंद्र, विवेक, रामजी आदि शामिल थे।
प्रो. पिंगली ने परियोजना टीम और स्थानीय किसानों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि जल संरक्षण और वैज्ञानिक कृषि पद्धतियों के समावेश से बुंदेलखंड क्षेत्र में कृषि की स्थिरता और किसानों की आय में उल्लेखनीय सुधार किया जा सकता है। इस मौके पर प्राकृतिक संसाधन संरक्षण समिति की सदस्या रजनी गौतम सदस्य जिला पंचायत, एफपीओ के मुन्ना लाल उपाध्याय, दीनदयाल पटेल, रामेश्वर शर्मा बकायन, संजीव बिरथरे, गौरी शंकर सिरबैया आदि उपस्थित रहे।