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अमर उजाला ब्यूरो

झांसी। उनाव बालाजी रोड पर निजी गार्डन में भाजयुमो की ओर से चार सत्रों में हुई मॉक संसद में सत्ता और विपक्ष के सांसदों ने आपातकाल विषय पर अपनी बात रखी। सत्ता पक्ष ने जहां आपातकाल को देश के इतिहास में काला अध्याय बताया। वहीं, विपक्ष ने आंतरिक खतरों को देखते हुए आपातकाल लगाने की बात कही। स्पीकर ने दोनों पक्षों को सुनकर अपना फैसला सुनाया।

सत्ता पक्ष की ओर से बोलने वाले सांसदों ने कहा कि 25 जून 1975 की रात को आपातकाल लगाकर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लोकतंत्र का गला घोंटा। एक लाख से अधिक विपक्षी नेताओं, कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और निर्दोष नागरिकों को जेल में डाल दिया गया। प्रेस की स्वतंत्रता पूरी तरह समाप्त कर दी गई। न्यायपालिका को धमकाया गया और संसद को रबर स्टांप की तरह प्रयोग किया गया। आपातकाल को 50 साल पूरे हो चुके हैं। भारत के इतिहास में आपातकाल से बड़ी काली रात नहीं आई होगी।

वहीं, विपक्षी सांसदों ने कहा कि उस समय देश में आंतरिक खतरे बढ़ रहे थे। देश की सुरक्षा के मद्देनजर ये निर्णय लिया गया। कठिन समय में कठिन निर्णय लेने पड़ते हैं। उस समय प्रशासनिक व्यवस्था का प्रभावी प्रचलन देखा गया। अधिकारी जिम्मेदार हो गए थे। ट्रेनें समय पर चलती थीं।

मॉक संसद के दौरान बुंदेलखंड के सभी जिलों से आए डेढ़ सौ से ज्यादा प्रतिभागियों ने आपातकाल विषय पर अपना पक्ष रखा। सदन ने संकल्प लिया कि 25 जून को तानाशाही के खिलाफ राष्ट्रीय प्रतिरोध दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इस प्रस्ताव को सदन में पारित भी किया गया। स्पीकर पूर्व केंद्रीय मंत्री भानु प्रताप वर्मा और पूर्व सांसद गंगा चरण राजपूत रहे।

इससे पहले मुख्य अतिथि केंद्रीय राज्यमंत्री बीएल वर्मा ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस दौरान सांसद अनुराग शर्मा, एमएलसी रमा निरंजन, महानगर अध्यक्ष हेमंत परिहार, जिलाध्यक्ष प्रदीप पटेल, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष अशोक राजपूत, भाजयुमो प्रदेश उपाध्यक्ष शिववीर भदौरिया, ओमबिहारी भार्गव, इं. अमित जादौन, चेतन ओझा, शशांक गुरनानी, रवि राजपूत आदि मौजूद रहे।



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