उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूपीएसएसएससी) के जूनियर अस्सिटेंट पद की लिखित परीक्षा में बिजली निजीकरण से संबंधित भी एक सवाल पूछा गया। सवाल यह था कि बिजली घाटे और बुनियादी ढांचे के मुद्दों को हल करने के लिए उत्तर प्रदेश में किन दो बिजली वितरण कंपनियों के निजीकरण पर विचार किया जा रहा है?
इस सवाल की जानकारी मिलने पर विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने पॉवर कॅर्पोरेशन और प्रदेश सरकार से सवाल पूछा है। कहा कि 3.45 करोड़ उपभोक्ता यह जानना चाहते हैं कि क्या निजीकरण से बिजली दरों में व्यापक बढ़ोतरी नहीं होगी? क्या सरकारी संपत्ति कम दामों में नहीं बिकेगी? क्या सरकारी क्षेत्र में रोजगार का सपना देख रहे युवा निराश नहीं होंगे? क्या आरक्षित वर्ग के 16 हजार पद समाप्त नहीं होंगे? इसलिए युवाओं के सामने सच्चाई आनी चाहिए।
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बिजलीकर्मियों की सभा आज झांसी में
पूर्वांचल दक्षिणांचल के निजीकरण के विरोध में दो जुलाई हो होने वाले प्रदर्शन और जेल भरो अभियान की तैयारी शुरू हो गई है। इसे लेकर सोमवार यानी 30 जून को संघर्ष समिति के पदाधिकारी झांसी और पारीक्षा ताप बिजली घर में आम सभा करेंगे। एक जून को कानपुर, केस्को और पनकी ताप बिजली घर पर आमसभा होगी। इसी क्रम में नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ़ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री को भी आंदोलन संबंधी पत्र भेजा है। इसमें बताया है कि दोनों निगमों के निजीकरण के विरोध में दो जुलाई को राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। नौ जुलाई को 27 लाख बिजली कर्मी एक दिन की सांकेतिक हड़ताल करेंगे।
जुलाई में 1.97 फीसदी अधिक बिजली वसूली
प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को जुलाई माह में ईंधन अधिभार शुल्क के रूप में 1.97 फीसदी अधिक बिल वसूली होगी। मालूम हो कि अप्रैल 2025 माह का ईंधन अधिभार शुल्क जुलाई 2025 में वसूला जाएगा। ऐसे में एक जुलाई से उपभोक्ताओं की बिजली दरों में 1.97 प्रतिशत अधिक वसूली होगी। इससे जुलाह माह में करीब 187 करोड़ की अतिरिक्त वसूली होगी। जून माह में 4.27 फीसदी ईंधन अधिभार शुल्क वसूला गया था। इस पर विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि बिजली कंपनियां ईंधन अधिभार शुल्क के रूप में अतिरिक्त वसूली कर रही हैं, लेकिन विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर बकाया चल रहा 33122 करोड़ लौटाया नहीं जा रहा है।