
ग्रामीण क्षेत्रों में सूखे पड़े तालाब।
– फोटो : संवाद
श्रावस्ती। तराई में मौसम का पारा 43 डिग्री पार पहुंच चुका है। जंगल सहित ग्रामीण क्षेत्रों में जलाशय सूखे पड़े हैं। ऐसे में पानी की तलाश में जंगली जीव आबादी की ओर पलायन कर रहे हैं। इसके बावजूद तालाबों में पानी न भरे जाने से पानी के लिए हाहाकार मचा है।
जंगलों में रहने वाले शाकाहारी व हिंसक जीवों को पेयजल मुहैया कराने के लिए मनरेगा योजना से भिनगा, ककरदरी, हरदत्त नगर गिरंट व सोहेलवा जंगल में जलाशयों का निर्माण कराया गया था। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में पशु पक्षियों को पानी मुहैया कराने के लिए अमृत सरोवर सहित मनरेगा से आदर्श जलाशय का निर्माण कराया गया था। इतना ही नहीं शासन ने ग्रामीण क्षेत्रों में पूर्व से मौजूद तालाब, झील व जल संग्रहण स्थलों से अतिक्रमण हटा कर उसे मूल स्वरूप प्रदान करने और अप्रैल माह में ही सूख चुके जलाशयों में पानी भरने का फरमान जारी किया गया था। इसका अब तक अनुपालन नहीं हुआ। जिले का तापमान अब 43 डिग्री सेल्सियस पार जा चुका है। ऐसे में सूखे जलाशयों के कारण छुट्टा मवेशियों सहित जंगली जीव जंतु पानी की तलाश में आबादी की ओर पलायन कर रहे हैं। जिनका सामना इंसानों व पालतू जानवरों से हो रहा है। ऐसे में जहां हिंसक जीव पालतू पशुओं को अपना शिकार बना रहे हैं। वहीं शाकाहारी जंगली जीव मानव सहित श्वान आदि के हमले में मारे जा रहे हैं। इसके बावजूद प्रशासन व वन विभाग की ओर से सूखते जलाशयों में पानी भरने का कोई इंतजाम नहीं किया गया।
ये है तालाब, झील व जल संग्रहण की स्थिति
जिले के राजस्व अभिलेखों में 6153 तालाब, झील व अन्य जल संग्रहण मौजूद हैं। इनमें से इकौना तहसील क्षेत्र में 1890, जमुनहा में 599 और भिनगा तहसील क्षेत्र में 3664 तालाब शामिल हैं। जिनका कुल रकबा 9640.2176 हेक्टेअर है। इनमें से इकौना में 80, जमुनहा में 1231 व भिनगा में 56 नए तालाब बनवाए गए हैं। जिन्हें मनरेगा योजना से आदर्श जलाशय व अमृत सरोवर के रूप में तैयार कराया गया है। जिनका कुल रकबा 605.0658 हेक्टेअर है। इनमें से अधिकांश तालाब सूखे पड़े हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में सूखे पड़े तालाब। – फोटो : संवाद