प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर की आड़ में बिजली यूनिट घोटाला हो गया है। प्रदेश में लगे 38.28 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर के बदले निकाले गए 6.22 लाख पुराने मीटर अभी तक जमा नहीं हुए हैं। इन मीटरों की यूनिट अब निगमों को पता नहीं चलेगी। ऐसे में निगम उपभोक्ताओं से बिल नहीं वसूल पाएंगे। उन्हें लाखों रुपये का नुकसान होना तय है।

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सीतापुर में स्मार्ट मीटर लगाने वाली कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पूरे प्रदेश में हलचल मची हुई है। गोंडा, बहराइच, बलरामपुर ही नहीं पूरे प्रदेश में इस तरह की गड़बड़ी हुई है। स्मार्ट मीटर लगाने के बाद पुराने मीटरों को जमा करना होता है ताकि ब्रट इन (मीटर की जांच) कर लिया जाए और संबंधित मीटर में दर्ज यूनिट को उपभोक्ता के खाते में जोड़ दिया जाए। मीटरों के डिस्प्ले नष्ट करने, मीटर रीडिंग शून्य करने, सील व कवर टूटने की वजह से निगमों को लाखों रुपये की चपत लगी है। विभागीय रिकॉर्ड के मुताबिक 29 अगस्त तक कुल 38 लाख 28 हजार 925 स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए गए हैं, जिसमें 6 लाख 22 हजार 568 पुराने मीटर विभाग को वापस नहीं किए गए हैं। इन सभी उपभोक्ताओं की पुरानी बिलिंग गायब है और नई बिलिंग नहीं शुरू हो पाई है।



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