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लोकसभा चुनाव में किस दल को कितनी सीटें मिलेंगी, यह तो मतगणना के बाद पता चलेगा। इसके साथ ही यह भी तय हो जाएगा कि इस चुनाव में दलगत तैयारियों का कितना असर रहा है।
चुनावी तैयारियों को लेकर भाजपा, सपा और कांग्रेस ने अधिसूचना जारी होने के महीनों पहले से ही अपने-अपने स्तर पर जमीनी तैयारियां शुरू कर दिया था। किसी दल ने बूथ प्रबंधन पर फोकस किया, तो किसी दल ने अपने सांगठनिक ढांचे के बल पर रणनीति तैयार की थी।
भाजपा : सबसे ज्यादा बूथ प्रबंधन पर फोकस
हर बार की तरह इस बार के चुनावी रण में भी भाजपा ने चुनाव प्रबंधन के लिए सात स्तरीय समितियों का गठन करके बहुत पहले ही तैयारी शुरू कर दी थी। इसमें सबसे अधिक बूथ प्रबंधन पर ध्यान रखा। चुनाव की अधिसूचना जारी होने से करीब एक साल पहले ही पार्टी ने 1.63 लाख से अधिक बूथों पर कमेटियों की समीक्षा शुरू कर दी थी।
अधिसूचना जारी होने के तीन महीने पहले ही बूथों के पुनर्गठन का काम पूरा कर लिया था और बूथ समितियां सक्रिय हो गई थीं। बूथों-समितियों के क्रियाकलापों की निगरानी के लिए 27 हजार से अधिक शक्ति केंद्र और इसकी निगरानी के लिए 1918 मंडल स्तरीय समितियां गठित की गई थीं।