लखनऊ सहित प्रदेशभर के आरटीओ, एआरटीओ में डीएल से जुड़े कामकाज देखने वाले 320 प्राइवेटकर्मियों को पहले भ्रष्ट व दलाल बताया गया। उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। फिर उन्हीं कर्मचारियों की पॉजिटिव रिपोर्ट लगाकर दोबारा तैनाती दे दी। ऐसे में अफसरों की मंशा पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। मामले की शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय पहुंच गई है। कार्रवाई की जद में आरटीओ, एआरटीओ सहित कई अफसर आएंगे। सूत्रों की मानें तो कर्मचारियों से 3.50 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली हुई है।
ड्राइविंग लाइसेंस से संबंधित कामकाज निजी एजेंसी के पास है। पहले स्मार्ट चिप कंपनी यह काम देखती थी। कंपनी के लखनऊ सहित प्रदेशभर में 320 कर्मचारी तैनात थे। ट्रांसपोर्टनगर आरटीओ, प्रशासन संजय तिवारी की ओर से परिवहन आयुक्त किंजल सिंह को पत्र लिखकर इन कर्मचारियों को भ्रष्ट व दलाल बताया गया। इन आरोपों पर भी सवाल उठे थे कि एक दशक से अधिक समय तक इन प्राइवेटकर्मियों के साथ काम करने के बाद अचानक भ्रष्टाचार व दलाली की शिकायतें कहां से आ गईं। हालांकि, उनके आरोपों की परिवहन आयुक्त किंजल सिंह ने जांच तक नहीं करवाई। न ही यह पूछा गया कि कर्मचारियों के खिलाफ शिकायतें कहां हैं। एकतरफा कार्रवाई करते हुए प्राइवेटकर्मियों को हटाने के निर्देश जारी कर दिए गए। शर्त लगा दी गई कि इनका स्थानांतरण होता है तो संबंधित एआरटीओ की आख्या लगेगी। कंपनी को पुलिस सत्यापन करवाना होगा। इस निर्देश के बाद कर्मचारियों में हड़कंप मच गया। नौकरी बचाने के लिए कर्मचारी अफसरों, मंत्रियों से गुहार लगाने लगे। लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। सूत्र बताते हैं कि अफसरों ने मिलीभगत कर कर्मचारियों से मोटी रकम वसूली है। इसके बाद कर्मचारियों की पॉजिटिव आख्या लगाई गई है, जिस पर उन्हें दूसरे जिलों में तैनाती दी गई है।
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सवालः अचानक भ्रष्ट से ईमानदार कैसे हो गए कर्मचारी
पूरे मामले में अफसरों की मंशा पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। दरअसल, जिन कर्मचारियों को दलाल व भ्रष्ट बताया गया था, वे अचानक ईमानदार कैसे हो गए। उनकी ईमानदार व कार्य को एआरटीओ की ओर से संतोषजनक बताकर दूसरे जिलों में कैसे तैनाती दे दी गई। इतना ही नहीं सूत्र बताते हैं कि पूरे मामले को साजिशन उठाया गया था।
3.50 करोड़ रुपये की वसूली के बाद मिली तैनाती!
परिवहन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि पूरे मामले में कर्मचारियों से मोटी रकम वसूली गई है। इसमें मुख्यालय में तैनात एक आला महिला व पुरुष अधिकारी सहित आरटीओ, एआरटीओ की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि कर्मचारियों से करीब 3.50 करोड़ रुपये की वसूली हुई है, जिसके बाद उन्हें नई तैनाती दी गई है।
सीएम मुख्यालय पहुंचा मामला, गिरेगी गाज
परिवहन विभाग के एक अधिकारी बताते हैं कि मामले को लेकर शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय पहुंच गई है। इस बाबत परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह भी अफसरों से पूछताछ करेंगे कि जब प्राइवेटकर्मियों पर आरोप थे तो उसकी जांच क्यों नहीं हुई। बगैर जांच उनके कार्यों को संतोषजनक लिखकर तैनाती कैसे दे दी गई। मुख्यमंत्री कार्यालय से जांच होने पर मुख्यालय सहित आरटीओ के अफसरों पर गाज गिरने की आशंका जताई जा रही है।
