Ayodhya: Ramlala is not getting the sandalwood studded tilak, the priest is unhappy with the new arrangement,

राम मंदिर अयोध्या
– फोटो : X-ShriRamTeerth

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राममंदिर में विराजमान बालक राम की सेवा रामानंदीय पद्धति से पूरे वैभव के साथ की जा रही है। रामलला का श्रृंगार रोजाना सोने-चांदी से जड़ित आभूषणों से किया जाता है। इसी क्रम में रामलला के माथे पर रत्नजडि़त चंदन का तिलक लगाया जा रहा है। यह तिलक अलग से बनवाया गया है, रोजाना इसे रामलला के माथे पर लगाया जाता है। हालांकि इस व्यवस्था से पुजारी खुश नहीं हैं। उनका कहना है कि चंदन घिसकर माथे पर तिलक लगाने की परंपरा ज्यादा उचित है।

राममंदिर के एक पुजारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला के माथे पर रोजाना चंदन घिसकर फिर तिलक किया जाता था। इसमें केसर आदि भी मिला होता था। इससे रामलला का मुखमुंडल खिल उठता था, लेकिन अब रामलला के माथे पर रत्नजड़ित चंदन लगाया जाता है। हालांकि उत्सव मूर्ति के रूप में विराजमान रामलला समेेत चारों भाईयों को चंदन घिसकर ही तिलक लगाया जाता है। इसके पीछे का कारण पुजारी ने स्पष्ट नहीं किया लेकिन इतना जरूर कहा कि चंदन घिसकर रामलला के माथे पर तिलक लगाने से रोका गया है।

पुजारी का कहना है कि चंदन का तिलक लगाने से चंदन माथे पर फैलकर रामलला की आंखों तक आ जाता है। साथ ही यह चंदन उनके माथे पर अच्छा भी नहीं लग रहा है। इसलिए रत्नजड़ित चंदन ही लगाने को कहा गया है। पुजारी ने कहा कि पूजा-पाठ में किसी को भी हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। रामानंदीय पूजन परंपरा में चंदन-तिलक का खास महत्व होता है। चंदन भगवान की पूजा-श्रृंगार का मुख्य हिस्सा भी है। उधर इसको लेकर ट्रस्ट ने कुछ भी कहने से इंकार किया है।

20 पुजारियों का प्रशिक्षण पूरा

राममंदिर में प्रशिक्षित पुजारियों की तैनाती की जाएगी। इसके लिए पिछले छह माह से 20 पुजारियों को प्रशिक्षित किया जा रहा था। इन सभी पुजारियों को रामलला की सेवा-पूजा में शामिल कर उन्हें पूजन की आचार संहिता समझाने का काम रामलला के मुख्य अर्चक कर रहे थे। अब इनका प्रशिक्षण पूरा हो गया है। इन्हें एक-दो दिन में प्रमाण पत्र देकर राममंदिर की पूजा में लगाया जाएगा। राममंदिर परिसर में बनने वाले अन्य मंदिरों की पूजा के लिए इन्हीं में से पुजारी नियुक्त किए जाएंगे।



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