Amar Ujala Padtal: price of cancer medicines are very high.

प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : istock

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केस-1: सिर-गले, स्तन, फेफड़े, लिम्फोमा (लसीका तंत्र से जुड़ा कैंसर ) और मूत्राशय के कैंसर के इलाज में उपयोग की जाने वाली पेंड्रालिजुमैब दवाई की महीने भर की खुराक 3,70,000 रुपये में आती है। दो-तीन महीने के इलाज में ही दवाओं का खर्च 10 लाख रुपये का आंकड़ा पार कर जाता है।

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केस-2: पेट, फेफड़े और आहार नली के कैंसर में इम्यूनोथेरेपी में अन्य दवाओं के साथ उपयोग में लाए जाने वाले रैमुसिरुमैब इंजेक्शन 21 दिन में एक बार लगाया जाता है। मरीज की स्थिति के हिसाब से इसकी तीन से लेकर छह या इससे भी ज्यादा खुराक दी जाती है। इसकी एक डोज की कीमत करीब तीन लाख रुपये है।

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केस-3: ब्रेस्ट कैंसर के रोगियों को पर्टूजुमैब इंजेक्शन हर 21 दिन के अंतराल पर एक साल के लिए दिया जाता है। इसके एक डोज की कीमत 1,35,000 रुपये आती है। ऐसे में इसका कुल खर्च 25 लाख के पार पहुंच जाता है।

कैंसर के इलाज के लिए जल्दी-जल्दी नई दवाएं आ रही हैं। पेटेंट की वजह से इनकी कीमत आसमान छू रही हैं। नई दवाएं ज्यादा कारगर हैं, लेकिन इनका खर्च 15 हजार रुपये प्रतिदिन तक पहुंच रहा है। ऐसे में कैंसर रोगियों के लिए इलाज कराना काफी मुश्किल हो जाता है। पिछले छह महीने में ही कैंसर की 20 से ज्यादा नई दवाएं आ चुकी हैं।

भारत ही नहीं, दुनिया भर में कैंसर के मरीज काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। इसकी वजह से दवा कंपनियां नई दवाओं की खोज में काफी बजट खर्च कर रही हैं। नई दवा के विकास में काफी पैसा खर्च होता है और समय भी लगता है। ऐसे में जब भी कोई नई दवा आती है, तो कंपनी उसका पेटेंट हासिल करके अपने खर्च की भरपाई के साथ ही भरपूर लाभ कमाती है। पेटेंट की अवधि समाप्त होने के बाद उस दवाई का जेनेरिक वर्जन बाजार में आता है। इसके बाद ही वह दवा सस्ती हो पाती है। इस दौरान दवा कंपनियां शोध करती रहती हैं और नई दवाएं विकसित कर लेती हैं। यह सिलसिला लगातार चलता रहता है।

तीन दवाओं की कीमत घटाई है केंद्र सरकार ने

कैंसर की महंगी दवाओं को देखते हुए सरकार ने केंद्रीय बजट में कस्टम ड्यूटी कम करने की घोषणा की है। इनमें ट्रैस्टुजुमैब डेरक्सटेकन, ओसिमर्टिनिब और ड्यूरवालुमैब शामिल हैं। ट्रैस्टुजुमैब डेरक्सटेकन मुख्य रूप से ब्रेस्ट कैंसर में दी जाती है। इसकी एक डोज की कीमत करीब 1.55 लाख रुपये है। ओसिमर्टिनिब ईजीएफआर फेफड़ों के कैंसर में इस्तेमाल होती है। इसकी कीमत 1,21,336 रुपये है। वहीं ड्यूरवालुमैब फेफड़ों, पित्त की नली और मूत्राशय के कैंसर के लिए इम्यूनोथेरेपी में इस्तेमाल होती है। ड्यूरवालुमैब 160 की कीमत 36,400 रुपये और ड्यूरवालुमैब 500 की कीमत 1,51,668 रुपये है।

चौथी स्टेज में इम्यूनोथेरेपी के समान असरकारक सामान्य दवाएं

केजीएमयू के कैंसर विशेषज्ञ प्रो. सुधीर सिंह का कहना है कि कैंसर की नई दवाएं असरदायक हैं, लेकिन पुरानी दवाओं की उपयोगिता समाप्त नहीं होती है। अभी ये दवाएं काम कर रही हैं। इम्यूनोथेरेपी काफी महंगी है, लेकिन कैंसर की चौथी स्टेज वाले मरीजों में यह सामान्य दवाओं के बराबर ही कारगर है। इसलिए सिर्फ महंगी दवाओं पर ही आश्रित नहीं रहना चाहिए।



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