नवीन कृष्ण राय की किताब।
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निश्चित रूप से मैनेजमेंट एक आयातित शब्द है, जो कुछ दशकों से हमारी शब्दावली और बातचीत में जगह बना पाया है। लेकिन जब कुरुक्षेत्र के मैदान में श्रीकृष्ण, अर्जुन के बहाने जीवन की कुछ बातें हमें समझा रहे थे तो वह दरअसल एक मैनेजमेंट ही था, जिसे उपदेश के नाम से हम डिकोड करते रहे हैं। राम ने जिस तरकीब से समुद्र के ऊपर पुल बनाया वह मैनेजमेंट था। सीमित रिसोर्स से उन्होंने ताकतवर रावण से जिस तरह से लड़ाई लड़ी वह मैनेजमेंट था। तो यकीनन हमारे इतिहास और धर्म में मैनेजमेंट शब्द के रूप में न होकर भी विचार के रूप में पहले से मौजूद रहा। बहुत प्रभावी ढंग से हमको मजबूत करता रहा है।
शब्द की तरह इस विषय से जुड़ी जो किताबें हमें उपलब्ध थीं वह विदेशी मेटाफर और उदाहरणों के साथ मौजूद थीं। भारत में जीवन प्रबंधन से जुड़ी हुई स्तरीय किताबें न के बराबर रही हैं। जो किताबें हिंदी में उपलब्ध हैं वह दरअसल उन्हीं अंग्रेजी किताबों का सस्ता अनुवाद भर हैं। आईआईएम इंदौर से जुड़े मैनेजमेंट गुरू नवीन कृष्ण राय इस खालीपन को दूर करते हैं। हाल ही में मंजुल प्रकाशन से प्रकाशित हुई उनकी किताब ‘लाइफ मैनेजमेंट’ आपको जीवन को देखने, आसपास के लोगों को समझने और उनके नजरिए को तौलने की एक नई दृष्टि देती है। एक मजबूत, निरपेक्ष और कुछ हद तक शातिर दृष्टि।
किताब की टैग लाइन है ‘गुमराह ओर शोषित होने से बचें’। नवीन आपको इस दुनिया में खुद को स्थापित करने की कला तो सिखाते ही हैं साथ ही वह यह भी सिखाने की कोशिश करते हैं कि आप कैसे दूसरे के उपयोग की वस्तु न बन जाएं। नवीन यह बात ठीक ही समझते हैं कि आप शोषित होते रहे हैं। कभी अपनी मर्जी, कभी मजबूरी तो कभी नसामझी में। लेखक की ख्वाहिश यही है कि वह आपको कुछ हथियार दे। आज के जमाने के। कुछ एंटीबॉडी ओर एंटी बॉयोटिक दे। दरअसल आपके माता-पिता और परवरिश ने आपको इस दुनिया से डील करने के लिए जो हथियार दिए थे जब आप बड़े हुए तो आपने पाया कि वह हथियार एक्सपायर हो चुके थे।