उरई। जिले में एंबुलेंस सेवा भगवान भरोसे चल रही है। कभी रास्ते में एंबुलेंस खराब हो रही है तो कभी उसकी ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है। इसकी वजह से मरीज की जान भी जा रही है। मामला संज्ञान में आने पर स्वास्थ्य विभाग जांच की बात भी करता है।

वैसे तो जिले में 108 की 23 और 102 नंबर की 21 एंबुलेंस सेवा में है। इसके अलावा चार एडवांस लाइफ सपोर्ट (एएलएस) भी है। 102 गर्भवती व महिलाओं के लिए आरक्षित है। जबकि 108 नंबर वाली एंबुलेंस से हादसों आदि में सेवा दी जाती है। जबकि अति गंभीर मामलों में एएलएस की सेवाएं दी जाती है।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का दावा है कि एंबुलेंस में पर्याप्त इंतजाम है। समय-समय पर उनकी जांच पड़ताल भी की जाती है लेकिन जांच के नाम पर खानापूरी होती है। जबकि हकीकत इससे इतर है। बुधवार को जिला महिला अस्पताल के सामने खड़ी एंबुलेंस की हालत ठीक नहीं थी। जगह-जगह एक्सीडेंट के निशान थे। कांच भी टूटा हुआ था और एंबुलेंस की हालत भी अस्तव्यस्त थी।

आरोप: एंबुलेंस में नहीं थी ऑक्सीजन, बुजुर्ग ने तोड़ा दम, जांच शुरू

डकोर ब्लॉक के औंता गांव निवासी अशोक कुमार द्विवेदी ने बताया कि 18 अक्तूबर को उनके बाबा रामबाबू (75) की तबीयत खराब होने पर मेडिकल कॉलेज से चिकित्सकों ने झांसी मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया। इस पर उन्होंने एंबुलेंस को कॉल किया। एंबुलेंस आने पर वह बाबा को लेकर झांसी रवाना हुए। उन्होंने आरोप लगाया कि एंबुलेंस में ऑक्सीजन नहीं थी। स्टाफ गुमराह करता रहा। स्टाफ ने एंबुबैग दे दिया और दबाने को कहा। जैसे ही एंबुलेंस एट से निकली और पिरौना के पास पहुंची तो बाबा की हालत बिगड़ने लगी। जब उन्होंने स्टाफ से ऑक्सीजन लगाने के लिए कहा तो स्टाफ ने उन्हें दूसरी एंबुलेंस के लिए कॉल लगाने को कहा। दूसरे एंबुलेंस से आए स्टाफ ने भी ठीक सहयोग नहीं किया। जिसकी वजह से उनके बाबा की अस्पताल पहुंचने से पहले ही मौत हो गई। उन्होंने डेढ़ बजे एंबुलेंस को कॉल किया था और झांसी साढ़े छह बजे पहुंच पाए। उन्होंने इसकी शिकायत सीएमओ से की है। सीएमओ ने जांच का आश्वासन दिया है।

बुुजुर्ग की एंबुलेंस में मौत का मामला संज्ञान में है। इसकी जांच की जा रही है। मृतक के परिजनों को बुलाया गया है। उनके बयान दर्ज होने के बाद आगे कार्रवाई होगी। -डॉ. अरविंद भूषण, एसीएमओ व नोडल अधिकारी एंबुलेंस सेवा

एंबुलेंस की समय समय पर जांच होती है। ऑक्सीजन सिलिंडर झांसी में भरे जाते हैं। मरीज के साथ फोटो भी खीचीं जाती है। ऑक्सीजन समाप्त होने की जानकारी नहीं है। -शबाब अहमद जिला प्रभारी एंबुलेंस सेवा



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