लखनऊ। भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक भैया दूज पर्व रविवार को मनाया जाएगा। बहनें, अपने भाइयों के माथे पर टीका लगाकर उनके दीर्घायु होने की कामना करेंगे। वहीं कायस्थ समाज भगवान चित्रगुप्त के पूजन के साथ कलम-दवात की पूजा करेगा।

ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक द्वितीया तिथि 2 नवंबर को रात में 8:21 मिनट से शुरू होकर 3 नवंबर को सुबह 10:05 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदयातिथि में पूजन होगा। जबकि दोपहर 12:56 से 3:09 बजे तक टीका करने का शुभ मुहूर्त होगा। भारतीय परंपरा में रक्षाबंधन की तरह यह त्योहार भी भाई-बहन के लिए बेहद खास होता है।

इस दिन बहन यमुना ने भाई यम को घर पर आमंत्रित किया था और स्वागत कर टीका किया था। इस पर्व को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन बहन के घर भाई के भोजन करने का विधान भी है। भाई दूज पर महिलाओं द्वारा घरों में पुरातन लोक कहानियों के नमूने चावल के आटे से बनाए जाते हैं। पूजन और कथा कर बहनें अपने भाइयों के माथे पर टीका लगाती हैं, उन्हें मिठाइयां, चीनी की बनी कुल्हिया, चूरा और लावा भेंटकर समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं। भाई, बहनों को उपहार देते हैं।

यमुना में डुबकी लगाना होता है शुभ

यम द्वितीया के दिन यमुना में डुबकी लगाने की परंपरा है। यमुना में स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है। आचार्य एसएस नागपाल के अनुसार, भाई दूज या यम द्वितीया को यमुना नदी में या फिर यमुना का स्मरण कर स्नान करना चाहिए। दोपहर में बहन से तिलक कराकर उन्हें उपहार प्रदान करें। कायस्थ समाज के लोग यम द्वितीया के दिन अपने कुलप्रमुख चित्रगुप्त जी का पूजन करते हैं।



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