
मालिनी अवस्थी
– फोटो : अमर उजाला
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लाल दमकती बिंदिया, सिंदूर भरी मांग, चश्मे के पीछे चमकती मुस्कुराती बड़ी-बड़ी अंखियां, माटी की खनक, मिजाज की ठसक, गरिमा और मातृत्व से लबालब आत्मीय मुस्कान.. देवी स्वरूपा आभा मंडल!
फोन पर ‘कहो मालिनी, कैसी हो’ आह… अब कभी यह छलकता स्वर सुनने को नहीं मिलेगा। पच्चीस सालों का सम्बन्ध, अनगिनत कार्यक्रम, रिकॉर्डिंग, टीवी स्टूडियो की भेंट से गुजरता हुआ रिश्ता कब इतना गहरा होगा, जान नहीं पाई। लाखों लोगों की तरह मैं भी उनकी अनन्य प्रशंसक थी, लेकिन उनके प्रेम और अपनेपन ने मुझे परिवार के सूत्र में बांध लिया। बड़प्पन ऐसा कि, आपका संकोच खत्म कर दे। सहजता ऐसी कि आपको अचरज में डाल दे। प्रेम जैसे उमड़ी बदरिया की तरह आपको अपने स्नेह से भिगो दे…
आपके माता पिता ने आपको बचपन में ही पहचान लिया था तभी तो नाम दिया, शारदा! साक्षात देवी। दीदी आप जैसा कौन होगा! पद्म सम्मान मिला हो मेरा दादी नानी बनने का संयोग, आप आशीष देने का कोई अवसर नहीं भूलतीं। होली पर फोन कर वो आपका फाग होरी सुनना और सुनाना सब जैसे हृदय में बस गए हैं। आज कैसे लिखूं कि कैसे मां के नाम पर लोक निर्मला सम्मान के प्रस्ताव पर आपने मुझसे सिर्फ इन की तारीख पूछी, और किस मातृत्व भाव से आप आईं और लखनऊ को अपना बना कर चली गईं। लखनऊ वासी लोक निर्मला सम्मान की वह संध्या आजीवन नहीं भूलेंगे।
कहने को कितना कुछ है…लेकिन आप कितनी दूर चली गईं, छठी मइया के पास।
दीदी आप का योगदान अतुलनीय है। जिस युग में स्त्रियों का बाहर निकलना भी एक बड़ी बात थी, आपने कला जगत में स्त्रियों की उपस्थिति को सम्मान दिलाया, सबको सिखाया कि कलाकार यदि चाहे, तो अपनी कला के दम पर अपनी माटी, अपनी बोली, अपने अंचल, अपनी संस्कृति का पर्याय बन सकता है। भारतीय संस्कृति और भोजपुरी को शारदा सिन्हा दीदी ने जो उत्कर्ष और गरिमा प्रदान की उसका आकलन कर पाना असम्भव है। आप जहां रहेंगी, शारदा सी सबकी प्रार्थनाओं में रहेंगी। अनंत की यात्रा के लिए आपका प्रस्थान शांतिमय हो। विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं।