ग्रासलैण्ड मना रहा है 63वां स्थापना दिवस –

झाँसी- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद भारतीय चारागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान झाँसी में स्थापना दिवस के कार्यक्रमों की श्रृंखला में संस्थान निदेशक डॉ. पंकज कौशल की अध्यक्षता में प्रेस वार्ता आयोजित की गई डा. पंकज कौशल ने संस्थान की स्थापना 1 नवम्बर 1962 से वर्तमान तक की अनुसंधान यात्रा को वर्णित करते हुए बताया कि विगत 22 वर्षों में चारा फसलों की तीन सौ पचास से अधिक किस्मों की पहचान अधिसूचना की गई है। संस्थान ने चारा बीज श्रृंखला को आधार प्रदान करते हुए गुणवतायुक्त बीज को उपलब्धता के लिए देश के 24 राज्यों में 12 फसलों से अधिक किस्मों में प्रजनक बीज, टी. एफ. एल. बहुबर्षीय घासों की आपूर्ति की है।
वर्षा आधरित स्थिति में पशुधन आधारित एकीकृत कृषि प्रणाली एवं जलवायु अनुकूल खाद्य-चारा उत्पादन मॉडल विकसित किये गए है। अनुपयोगी / बंजर भूमि एवं वर्षा आधारित कृषि – पारिस्थितिकी तंत्र के लिए वन चरागाह एवं उद्याान- चारागाह प्रणाली के मॉडल विकसित किए है।
पत्रकारों से विस्तृत चर्चा करते हुए आपने बताया कि बंजर भूमि में चारागाह विकसित करने के लिए ड्रोन तकनीकी का प्रयोग किया जा रहा है। निजी कंपनियों जैसे रिलायंस बायोएनर्जी लिमिटेड, मारूति सुजुकी इंडिया लिमिटेड और राज्य सरकारों के परामर्श से 28 राज्यों के लिए राज्य के संसाधनों के अनुरूप फोडर प्लान बनाये गए है जो राज्य के कृषि पारिस्थितिकी तंत्र के अनुकूल है। असम, त्रिपुरा, गोवा, और राजस्थान राज्यों ने इन फोडर प्लान को लागू किया है। देश में गुणवतायुत्क्त हरे एवं शुष्क चारे की कमी को दूर करने के लिए नवीनतम अनुसंधान भविष्य में चारा संसाधनों को सुरक्षित एवं संरक्षित करने के लिए चरागाह की उत्पादकता, गुणवता एवं पशुचराई की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए सतत कार्य किया जा रहा है।
भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद द्वारा संस्थान की 18 तकनीकियों को विगत वर्ष में मान्यता प्रदान की गयी। संस्थान के वैज्ञानिकों ने विगत वर्ष में विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किए है, जिनमें जापान सरकार कृषि मंत्रालय द्वारा युवा वैज्ञानिक एवं बायोटेक्नोलॉजी विभाग, भारत सरकार द्वारा हरगोविंद खुराना युवा वैज्ञानिक पुरस्कार शामिल है। प्रारम्भ में डा विजय कुमार यादव परियोजना समन्वयक (चारा फसलें) ने सभी प्रेस प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए अनुसंधान सम्बधिंत जानकारी प्रदान की। पत्रकार वार्ता के दौरान डा. राजीव कुमार अग्रवाल, नीरज कुमार दुवे मौजूद रहे। डा रामविनोद कुमार ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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