Golden cards of 40 thousand patients stuck, how to get treatment

सेंटर पर गोल्डनकार्ड के लिए आवेदन करते लोग।
– फोटो : स्रोत-विभाग

रायबरेली। प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना के तहत गरीबों को पांच लाख रुपये तक कैशलेस इलाज की सुविधा के लिए पसीना बहाना पड़ रहा है। गोल्डन कार्ड बनवाने के लिए आवेदन करने के बाद 40 हजार से अधिक मरीजों के कार्ड फंसे हुए हैं। किसी का कार्ड पेंडिंग तो किसी का कार्ड रिजेक्ट दिखा रहा है।

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निदेशालय स्तर से पेंडिंग व रिजेक्ट आवेदनों के हटने के बाद ही दोबारा गोल्डन कार्ड बनवाने के लिए आवेदन किया जा सकता है। करीब छह माह से लोग गोल्डन कार्ड के लिए भटक रहे हैं। सीएमओ को रोजाना मिलने वाली शिकायतों को लखनऊ रेफर किया जा रहा है।

जिले में 14.5 लाख गरीबों को कैशलेस इलाज की सुविधा दी जानी है। अब तक जिले में 9.1 लाख गरीबों को गोल्डन कार्ड मिल भी चुके हैं। 5.4 लाख लोगों के गोल्डन कार्ड अब तक नहीं बने हैं। गांवों में लोग गोल्डन कार्ड बनवाने के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया पूरी कराते हुए आवेदन करते हैं। इनमें से किसी का कार्ड पेंडिंग में चला जा रहा है तो किसी का रिजेक्ट हो जा रहा है। पेंडिंग व रिजेक्ट की दशा में दोबारा आवेदन भी नहीं हो पा रहा है। जिला मुख्यालय पर संशोधन की सुविधा न होने के कारण गरीबों को भटकना पड़ रहा है।

रोजाना लोग शिकायत लेकर सीएमओ कार्यालय पहुंच रहे हैं। यहां भी उनकी समस्या का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। शिकायतों को लखनऊ मुख्यालय रेफर कर दिया जाता है। निदेशालय के स्तर से पेंडिंग व रिजेक्ट डाटा पोर्टल से न हटाए जाने के कारण गोल्डन कार्ड बनवाने के लिए लोग दोबारा आवेदन भी नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में तमाम मरीज, जिन्हें अपना इलाज करवाना है, वो गोल्डन कार्ड न बन पाने के कारण परेशान हैं।

8500 बुजुर्गों के बनाए गए गोल्डन कार्ड

जिले में 70 साल की उम्र पार कर चुके बुजुर्गों के गोल्डन कार्ड बनाने का काम तेजी से चल रहा है। अब तक 8500 बुजुर्गों के गोल्डन कार्ड बनाए जा चुके हैं। इसमें भी करीब 300 बुजुर्गों के कार्ड पोर्टल पर पेंडिंग दिख रहे है। इससे सभी बुजुर्गों को भी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

तीन निजी अस्पतालों के आवेदन किए गए खारिज

गरीबों व बुजुर्गों को कैशलेस इलाज की सुविधा देने के लिए योजना से जुड़ने के लिए आवेदन करने वाले तीन निजी अस्पतालों की अर्जियों को खारिज कर दिया गया है। अधूरे आवेदन होने और मानक पूरा न करने के कारण आवेदनों को निरस्त किया गया है। तीन अन्य निजी अस्पतालों के आवेदन मिलने के बाद मानकों की जांच की जा रही है।

गोल्डन कार्ड बनवाने के दौरान ऑनलाइन प्रक्रिया में पोर्टल पर गलत डाटा फीड करने के कारण आवेदन पेंडिंग या निरस्त की श्रेणी में चले जाते हैं। लखनऊ से ऐसे आवेदनों को निरस्त करने के बाद ही दोबारा आवेदन किया जा सकता है। शिकायतों को लखनऊ मुख्यालय भेजा जा रहा है।

– डॉ. नवीनचंद्रा, सीएमओ



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