बारिश और नेपाल से छोड़े गए पानी से सीतापुर के महमूदाबाद तहसील क्षेत्र में सरयू का रौद्र रूप दिख रहा है। कटान से शुकुलपुरवा के रामरूप पुरवा, लोधन पुरवा, छोटे पुरवा, महाजन पुरवा, सुंदर पुरवा और झकटु पुरवा के अस्तित्व पर संकट गहरा गया है। भूषणपुरवा और लोधनपुरवा की पहचान ही मिटने वाली है। नदी मूल स्थान से दो किमी हटकर लगातार कटान कर रही है। करीब 100 कच्चे घर नदी में विलीन हो गए, लेकिन बाढ़ प्रभावित परिवारों को मदद के नाम पर बस एक बार राशन किट मिली, जिसमें राशन के नाम पर 10 किलो आटा व 10 किलो चावल रहा। इसके बाद मदद के नाम पर ग्राम प्रधान श्रीराम ने बस चार दिन लंच पैकेट बंटवाए। अब वह भी बंद है। ऐसे में कटान प्रभावित ग्रामीणों के समक्ष पेट पालने की मुश्किल है।

loader

Trending Videos

कटान प्रभावितों का असल हाल जानने हम सरयू की दो सहायक नदियों को नाव से पार करना पड़ा। बंगाली घाट और बांके घाट होते हुए हम किसी तरह तबाह हुए रामरूप पुरवा पहुंचे। गांव की मीना यादव ने बताया कि राशन किट में लाई, चना, भूना चना, चीनी, बिस्कुट, माचिस, मोमबत्ती, नहाने का साबुन, बाल्टी, तिरपाल, आटा, चावल, आलू (10-10 किलो), अरहर दाल (दो किलो), हल्दी (200 ग्राम), मिर्च (100 ग्राम), सब्जी मसाला (200 ग्राम), सरसों का तेल और नमक मिला था। घर में खाने वाले 10-10 लोग हैं। बड़ी मुश्किल से 15 दिन काम चला। अब खाने के लाले हैं। प्रशासनिक अधिकारी दौरा तो करते हैं, लेकिन सभी ने हमें हमारे हाल पर ही छोड़ दिया है।

अर्चना की भी दिक्कत यही है। परिवार में छह सदस्य हैं। एक बार राशन किट के बाद फिर कुछ नहीं मिला। मजबूरी में  रामपुर मथुरा जाकर परिवार के सदस्यों को मजदूरी करनी पड़ रही है, तब कहीं चूल्हा जल रहा है। हमें देखकर कटान से तबाह सुखदेई की आंख भर आई। रोते हुए बताया कि साहब सब तबाह हो गया। खेती नदी में समा गई। घर भी कट गया। अब छप्पर डालकर किसी तरह से समय काट रहे हैं। बुरा हाल है। उन्हें किसी तरह से चुप कराया। हमें मुनेश्वरी ने बताया कि पशुओं के टीकारण का भरोसा दिया गया था, लेकिन कोई यहां झांकने नहीं आया। पूरी व्यवस्था भगवान भरोसे ही है। अब तो यही चिंता सताती है कि शाम को घर का चूल्हा कैसे जलेगा। घर में अन्न का एक दाना भी नहीं बचा है।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *