बार संघ के चुनाव के बीच एक ऐसा पत्र जारी हुआ, जिसने अधिवक्ताओं के बीच में रविवार की दोपहरी में खलबली मचा दी। काफी देर तक संशय बना रहा कि क्या वाकई में बार काउंसिल ऑफ उप्र ने बार संघ झांसी की एल्डर्स कमेटी के चेयरमैन प्रकाश नारायण द्विवेदी को हटाने के लिए पत्र जारी किया है या नहीं। इस संबंध में जब चेयरमैन से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि जिसने पत्र जारी किया है, उन्हें पद से हटाने का अधिकार नहीं है। पत्र फर्जी है। अगर मुझे पद से हटाया जाना है तो बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष की ओर से पत्र जारी किया जाता।
इस प्रकार का पत्र सोशल मीडिया पर एक पत्र वायरल हुआ (इसकी पुष्टि अमर उजाला नहीं करता)। पहले पत्र में बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के मेंबर हरिशंकर सिंह के लेटर पैड पर इसकी सूचना जारी हुई। पहले पत्र में लिखा था कि ”एल्डर्स कमेटी के चेयरमैन के खिलाफ झांसी के लगभग 70-80 अधिवक्ताओं द्वारा हस्ताक्षरित एक शिकायती पत्र प्राप्त हुआ है, जिसमें कहा गया है कि वह जिला अधिवक्ता संघ, झांसी के चुनाव निष्पक्षता से नहीं करा सकते हैं। वह 89 वर्ष के बुजुर्ग हैं। वह अपने दामाद को साथ लाते हैं। उनका दामाद अन्य उम्मीदवारों से मिलता है और पक्षपात करता है। जबकि, एल्डर कमेटी का सदस्य बनने के लिए पूर्णतः सक्रिय और नियमित अधिवक्ता होना आवश्यक है। इस आधार पर एल्डर कमेटी में दूसरे स्थान पर स्थित वरिष्ठ अधिवक्ता को चेयरमैन अध्यक्ष नियुक्त करने का आदेश देता हूं तथा निर्देश देता हूं कि वर्तमान में चल रही चुनाव प्रक्रिया को उसी क्रम में जारी रखा जाए, जिससे निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित हो तथा बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश को भी इसकी सूचना दी जाए।”
अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी ठोकने वाले अधिवक्ता प्रमोद शिवहरे ने इस पत्र को फर्जी बताया। इसके बाद जब प्रकाश नारायण द्विवेदी से वार्ता की गई तो उन्होंने बताया कि यह पत्र पूरी तरीके से फर्जी है। जिन्होंने पत्र जारी किया है, उन्हें पहले झांसी में चुनाव का समन्वयक बनाया गया था पर इस बार वह समन्वयक भी नहीं हैं।