सुरेंद्र वो दीपक था जो दूसरों को रोशनी के लिए जला, दूसरों से जलने के लिए नहीं… शफीकुर्रहमान कशफी ने यह लाइनें पढ़ीं तो तालियां बज उठीं।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *