Read a story of IAS Rinku Singh Rahi.

आईएएस रिंकू सिंह राही।
– फोटो : amar ujala

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भ्रष्टाचारियों ने गोली मारी, अफसरों ने मानसिक अस्पताल पहुंचाया और फिर आईएएस अफसर बन गए। यह किसी फिल्म की नहीं है बल्कि पीसीएस (एलायड) से आईएएस अफसर बने रिंकू सिंह राही की जिंदगी की कहानी है। अब उन्हें पूरा यकीन है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के जरिये वे भ्रष्टाचार से और मजबूती से लड़ सकेंगे। रिंकू सिंह राही उन 16 आईएएस प्रशिक्षुओं में शामिल हैं जो मंगलवार को सीएम योगी आदित्यनाथ से मिले थे।

हाथरस (तब अलीगढ़) के बेहद गरीब परिवार से ऊपर उठे राही वर्ष 2007 में पीसीएस (एलायड) परीक्षा के जरिये जिला समाज कल्याण अधिकारी बने थे। जून 2008 में मुजफ्फरनगर में तैनाती मिली तो उन्होंने जिले में कई सुधार लागू किए। मसलन, किस स्कूल-कॉलेज के कितने विद्यार्थियों को कितनी राशि भेजी गई है, उसका अखबारों में इश्तहार छापना अनिवार्य कर दिया और भ्रष्टाचार का अड्डा बने समाज कल्याण विभाग के घोटाले सिलसिलेवार खोलना शुरू कर दिया। तब बसपा सरकार थी।

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महकमे की जमीन से अवैध कब्जे हटाने गए तो अतिक्रमणकारियों ने उनके साथ मारपीट कर दी। जब विभाग के ही एक अकाउंटेंट की गोपनीय रिपोर्ट सीडीओ को भेजी तो उन्होंने कार्रवाई करने के बजाय उस रिपोर्ट को ही अकाउंटेंट को दे दिया। एक प्रमुख सचिव ने फोन कर उन्हें धमकी दी कि ज्यादा ईमानदारी दिखाई तो हश्र ठीक न होगा।

इसके बाद  26 मार्च 2009 को जब वे बैडमिंटन खेल रहे थे, तब भ्रष्टाचार की उनकी मुहिम से खफा समाज विरोधी तत्वों ने उन पर ताबड़तोड़ 7 गोलियां बरसा दीं। तीन गोलियां सिर में लगीं जिनमें से एक गोली का कुछ हिस्सा अब भी उनके सिर में है। इस हमले में उनकी एक आंख खराब हो गई और जबड़ा भी निकल गया। चार माह बाद अस्पताल से छुट्टी मिली तो वे फिर अपनी मुहिम में जुट गए। उन्हें विभाग के आईएएस-पीसीएस कोचिंग सेंटर की जिम्मेदारी मिली।

धरना दिया, निलंबित भी हुए

2012 में लखनऊ में भ्रष्टाचार के खिलाफ धरने पर बैठ गए तब अन्ना हजारे का आंदोलन पूरे शबाब पर था। पुलिस ने उठाकर उन्हें पहले मानसिक चिकित्सालय में और फिर अगले दिन अस्पताल में भर्ती करवाया। इसके बाद भी वे सिंचाई के लिए बोरिंग समेत तमाम घोटालों को खोलते रहे। जून-2018 में उन्हें निलंबित भी कर दिया गया। बहाल होने पर उन्होंने हापुड़ के आईएएस-पीसीएस कोचिंग सेंटर की जिम्मेदारी संभाली। अभ्युदय कोचिंग योजना के लिए भी काम किया। वर्ष 2022 में दिव्यांग कोटे से उन्होंने आईएएस की परीक्षा पास की।

हार से आगे बढ़ने का मिलता है सबक

रिंकू अपने आगे बढ़ने में मौजूदा समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण का बड़ा योगदान मानते हैं। बताया कि असीम अरुण ने उनका काफी सहयोग किया। रिंकू का मानना है कि हर भारतीय का फर्ज है कि वह सच्चा नागरिक बनकर देश के विकास में योगदान दे। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वालों को भी संदेश देते हैं कि हार से घबराए नहीं। हर हार हमें सबक देकर आगे बढ़ना सिखाती है।



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