पांच साल पहले नवाबाद थाने में दर्ज हुई थी एफआईआर, चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी में विजिलेंस

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अमर उजाला ब्यूरो

झांसी। राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना में झांसी मंडल में हुए करीब 150 करोड़ रुपये के घोटाले में तत्कालीन अधिशासी अभियंता, सहायक अभियंता समेत आठ अभियंताओं की मिलीभगत की पुष्टि हो गई। करीब पांच साल तक चली छानबीन के दौरान 1300 फाइलों को खंगालने पर विजिलेंस को इन सभी अभियंताओं के खिलाफ अहम सुराग मिले हैं। अब विजिलेंस इनके खिलाफ अगले माह चार्जशीट दाखिल करने जा रही है।

केंद्र सरकार ने वर्ष 2005-2006 में झांसी समेत बुंदेलखंड के 12 जनपदों में विद्युतीकरण के लिए राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के जरिए 3200 करोड़ रुपये जारी किए थे। इसके जरिए यहां के गांवों तक बिजली पहुंचाई जानी थी, लेकिन तत्कालीन अभियंताओं ने मिलीभगत करके 1600 करोड़ रुपये का बंदरबांट कर लिया।

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इन पर दर्ज हुआ मुकदमा

मामला सामने आने पर करीब 12 साल बाद सरकार ने सतर्कता अधिष्ठान को जांच सौंपी। विजिलेंस ने वर्ष 2019 में नवाबाद थाने में तत्कालीन अधिशासी अभियंता लोकेश कुमार, सहायक अभियंता प्रदीप सिन्हा, सहायक अभियंता अनुभव कुमार, अवर अभियंता हरीश कुमार, अवर अभियंता जंग सिंह, अवर अभियंता भगवंत सिंह, अवर अभियंता शशिवंद्र, अवर अभियंता योगेंद्र सिंह समेत तेलगांना की कंपनी आईबीआरसीएल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड प्रोजेक्ट लिमिटेड के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी।

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पांच साल की छानबीन के दौरान विजिलेंस ने 1300 से अधिक फाइलें पलटने के साथ पूरे मामले से जुड़े 100 से अधिक लोगों से पूछताछ की। फाइल खंगालने पर पता चला कि झांसी में 9505 नए खंभे लगाने थे। कई जगह बिना काम कराए भुगतान कर दिए गए। हालात यह रहे थे कि 87 प्रतिशत ट्रांसफार्मरों पर इलेक्ट्रॉनिक मीटर नहीं पाए गए, जबकि कागजों में मीटर लगे दिखाकर भुगतान ले लिया गया था। ट्रांसफार्मर की कीमतें भी अधिक दर्शाई गई थी। अभियंताओं ने मापन पुस्तिकाएं तैयार की। इनमें सभी कार्य मानक के अनुरूप दिखाकर भुगतान कर दिया गया।

विजिलेंस अफसरों के मुताबिक अभियंताओं ने मिलीभगत करके बिना काम कराए करोड़ों का भुगतान किया। एसपी विजिलेंस आलोक शर्मा का कहना है कि सभी अभियंताओं के खिलाफ सुबूत मिले हैं। अब इनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जा रही है।



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