अमर उजाला ब्यूरो
झांसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में घुरारी नदी का जिक्र यूं ही नहीं किया। लगभग 25 साल पहले इस नदी की धारा अविरल थी। आसपास का ग्राम समाज इसे जीवनदायिनी मानता था लेकिन बाद के दिनों में यह नदी अनदेखी का शिकार हो गई।
नदी की सतह जलकुंभी से पट गई और खनन माफियाओं ने भी इसे नुकसान पहुंचाया, जिससे यह नदी मृत प्राय: स्थिति में पहुंच गई थी। इसे नया जीवन देने का काम जल सहेलियों ने किया। घुरारी नदी बेतवा की सहायक नदी है, जिसका उद्गम बबीना आर्मी कैंट के जंगलों से होता है। यह नदी निवाड़ी जनपद के चौदह गांवों के अलावा झांसी के सिमरावारी, खैलार से होकर गुजरती है। ओरछा में कंचनघाट से 50 मीटर से पहले यह नदी बेतवा में समाहित हो जाती है। लगभग 25 साल पहले आसपास के गांवों में खेतों की सिंचाई इसी नदी के पानी से होती थी। लेकिन धीरे-धीरे यह प्रदूषण की चपेट में आ गई।
नदी में जलकुंभी की स्थिति यह हो चुकी थी कि चकरपुर गांव के एक किसान की छह भैंसों की जलकुंभी में फंसने से मौत हो गई थी। ऐसे में नदी को बचाने के लिए सामाजिक संगठन परमार्थ आगे आया। संस्था के अध्यक्ष संजय सिंह की अगुवाई में जल सहेलियों ने ग्राम समाज को जागरूक करने के उद्देश्य से नदी में दो किमी लंबी मानव शृंखला बनाई और इसके बाद खुद नदी की जलधारा में उतर गईं। नदी में जमा जलकुंभी को साफ किया और गाद बाहर निकाली। ग्राम सिमरावारी में घुरारी नदी पर टूटे पड़े चेकडैम को ठीक करने का भी जल सहेलियों ने बीड़ा उठाया। इसके लिए उन्होंने आसपास खुदाई कर बालू इकट्ठी की, जिसे बोरियों में भरकर टूटे पड़े चेकडैम पर रख दिया। जल सहेलियों के इस प्रयास का सकारात्मक परिणाम सामने आया है। इस बार हुई बारिश में चेकडैम पानी से लबालब भरा नजर आया। साथ ही सालों बाद नदी की अविरल धारा भी नजर आई। यही वजह रही कि प्रधानमंत्री ने भी मन की बात में जल सहेलियों के कार्यों का उल्लेख किया।
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यह बोलीं जल सहेलियां…
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नदी की सफाई करते समय और चेकडैम को दुरस्त करते वक्त कभी यह सोचा ही नहीं था कि हमारे काम की सराहना प्रधानमंत्री भी करेंगे। प्रधानमंत्री ने सभी महिलाओं का मनोबल बढ़ाने का काम किया है। – मीरा, सिमरावारी
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हमने तो सिर्फ अपनी नदी और अपने गांव को जल संकट से छुटकारा दिलाने का काम किया था। हमारे इस काम की प्रधानमंत्री तक को जानकारी हो जाएगी, यह कभी नहीं सोचा था। लेकिन, अब बहुत खुशी हो रही है। – मंजुलता, सिमरावारी
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घुरारी नदी विलुप्त हो चुकी थी, लेकिन अब वह कल-कलकर बह रही है। सामूहिक प्रयास से यह संभव हो पाया है। प्रधानमंत्री द्वारा की गई तारीफ से सभी जल सहेलियां बेहद खुश हैं। – मीना, आरामशीन
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महिलाओं को जल संरक्षण के लिए परमार्थ संस्था के संजय सिंह ने प्रेरित किया। उनकी सहायता से कनेर और घुरारी नदी को नया जीवन मिल पाया है। प्रधानमंत्री ने बुंदेलखंड की सभी महिलाओं को गौरान्वित किया है। – दीपा मजूमदार, सिमरावारी
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मुख्यमंत्री ने भी की सराहना
मन की बात में जल सहेलियों की सराहना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी उनके कार्यो को सराहा। सीएम ने एक्स अकाउंट पर लिखा कि जनपद झांसी के स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं द्वारा जल सहेली बनकर मृतप्राय घुरारी नदी के संरक्षण और पुनर्जीवन के प्रयासों का उल्लेख पूरे उप्र के लिए गर्व का विषय है। निश्चित ही इससे जल संरक्षण के कार्यों को ऊर्जा मिलेगी। सैकड़ों जलाशयों के निर्माण में सहयोग कर महिला सशक्तीकरण की अद्भुत प्रतीक बनीं। जल सहेलियों ने जल संरक्षण एवं संवर्धन का एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया है। जल संरक्षण के लिए प्रेरणा बनीं मातृशक्ति का हार्दिक अभिनंदन एवं प्रधानमंत्री का आभार।
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पूरे बुंदेलखंड के लिए गौरव की बात : सांसद
सांसद अनुराग शर्मा ने पीएम मोदी का आभार जताते हुए जल संरक्षण के लिए प्रेरणा बनीं मातृशक्ति का अभिनंदन किया। उन्होंने एक्स हैंडल पर लिखा कि जल सहेलियां महिला सशक्तीकरण की अद्भुत प्रतीक हैं। उन्होंने जल संरक्षण एवं संवर्धन का एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया है। प्रधानमंत्री की ओर से की गई तारीफ पूरे बुंदेलखंड के लिए गौरव की बात है।
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पहूज की सफाई में भी किया सहयोग
पहूज नदी के संरक्षण के लिए अमर उजाला द्वारा चलाई गई मुहिम का हिस्सा बड़ी संख्या में जल सहेलियां भी बन गई थीं। परमार्थ संस्था के सहयोग से जल सहेलियों ने गांव-गांव में यात्राएं निकालकर ग्राम समाज को पहूज के प्रति जागरूक किया। इतना ही नहीं, नदी की जल धारा में उतरकर जलकुंभी भी साफ की, जिससे पहूज की जलधारा अब अविरल नजर आने लगी है।