बारिश से बदला मौसम।
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फूले कास सकल महि छाई, जनु वर्षा कृत प्रगट बुढ़ाई…
गोस्वामी तुलसीदास ने ये चौपाई श्रीराम चरित मानस में लिखी है। इसका मतलब है कि अब चारों ओर कास (एक तरह की घास) के सफेद फूल खिल चुके हैं, यह वर्षा ऋतु की विदाई का संकेत है। सदियों से बुजुर्ग और किसान भी इसे बूढ़ी हो चली वर्षा रानी के सफेद बालों की उपमा देते हुए मानसून की विदाई और शरद ऋतु की आहट का प्रतीक मानते रहे हैं।
प्रकृति के साथ ही वैज्ञानिक भी इससे सहमत हैं। आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह भी कहते हैं कि 1 जून से 30 सितंबर तक चलने वाले मानसून सीजन का सोमवार को समापन हो गया। वर्तमान में प्रदेश से मानसून की वापसी की परिस्थितियां अनुकूल हैं। मानसून विदड्रॉल लाइन फिलहाल राजस्थान, हरियाणा, पंजाब से हो कर गुजर रही है। हिमाचल और जम्मू कश्मीर से भी मानसून विदड्रॉल सुनिश्चित हो जाए तब औपचारिक तौर पर मानसून की विदाई होगी।
इस साल यूपी पर मानसून रहा मेहरबान
इस साल प्रदेश में मानसून ऋतु (1 जून से 30 सितंबर) के दौरान कुल 744.3 मिमी बारिश दर्ज की गई जो सामान्य के लगभग आसपास है। पिछले साल औसत से 17% कम (मात्र 619.3 मिमी) बारिश हुई थी। इस बार एटा, औरैया, हाथरस व फिरोजाबाद में सामान्य से अत्यधिक (औसत से 60% या उससे अधिक) बारिश हुई। वहीं, शामली व गौतमबुद्ध नगर में सामान्य से अत्यंत कम बारिश हुई। 14 जिलों में सामान्य से अधिक, 19 जिलों में सामान्य से कम और 36 जिलों में सामान्य बारिश हुई है।
पूर्वी यूपी में छिटपुट बूंदाबांदी के आसार
रायबरेली, बांदा,अमेठी, मिर्जापुर, गाजीपुर जिलों में रविवार से सोमवार के बीच हल्की बारिश हुई। मंगलवार को पूर्वी यूपी में छिटपुट बूंदाबांदी के आसार हैं। इसके बाद आसमान साफ होगा और तापमान में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। सोमवार को वाराणसी में सर्वाधिक 35.3 डिग्री सेल्सियस तापमान रहा। वहीं, नजीबाबाद में सबसे कम 22.5 डिग्री सेल्सियस तापमान रिकॉर्ड किया गया।