अमेठी सिटी। युद्ध के हालात में भी रोजगार के लिए सुदूर इस्राइल गए जिले के कई युवा तमाम मुश्किलों के बीच जान जोखिम में डाल कर भी डटे हुए हैं। हर समय मंडराते मिसाइल हमले के डर के बीच काम काज करते समय सायरन बजते ही उन्हें जान बचाने के लिए छिपना पड़ता है। इस्राइल गए जिले के कुछ ऐसे ही लोगों से बातचीत कर उनके समक्ष आ रही दिक्कतों को समझने की कोशिश की गई।

इस दौरान कुछ लोगों ने भाषा को लेकर आड़े आ रही परेशानी तो कुछ लोगों ने ऑफर के इतर उनसे दूसरा काम कराए जाने की परेशानी को सांझा किया। बताया कि घंटे के हिसाब से पैसा मिलने के कारण कई लोग परिवार की आर्थिक स्थिति बेहतर बनाने के लिए अपना मूल काम छोड़कर दूसरे काम करने भी जुटे हैं।

आठ अप्रैल को इस्राइल गए मुसाफिरखाना क्षेत्र के गांव बिसारा पश्चिम निवासी दिलीप तेल अवीव के कस्बा पेठा टिकवा में काम कर रहे हैं। वह जिस कंपनी में काम कर रहे हैं, उसे गुडवर्कर सर्टिफिकेट भी मिला है। इसी तरह मुसाफिरखाना क्षेत्र के बिसारा पश्चिम गांव निवासी अजीत कुमार 25 सितंबर को इस्राइल के हाइफा सिटी गए थे। वह आयरन वेल्डिंग का काम करने के लिए भेजे गए थे, लेकिन अब उनसे दूसरे काम कराए जा रहे हैं।

इसी तरह तिलोई क्षेत्र के गांव पूरे राजा निवासी अनिल कुमार वर्मा शटरिंग का काम करने बतियाम गए थे। मजदूरों की कमी होने के कारण वहां उन लोगों से झाड़ू लगवाने तक का काम कराया जा रहा है। परिवार की बेहतरी के घर परिवार से दूर यह सभी काम करना पड़ रहे हैं। सहायक श्रमायुक्त गोविंद यादव ने बताया कि वहां की सरकार सुरक्षा के लिए पूरी तरह से कटिबद्ध है। काम के लिए भेजे गए लोगों के साथ वहां के नागरिकों का व्यवहार भी काफी अच्छा है।

आसमान से बरसने लगते हैं मिसाइल के गोले

20 मई को इस्राइल गए तिलोई क्षेत्र के अस्तानगर के गिरिजेश ने परिजनों से हुई बातचीत में बताया कि वह युद्ध को लेकर डर तो बना ही रहता है। ऊपर मंजिल में काम करने के दौरान अक्सर मिसाइलों के गोले आस पास ही फटते हैं। ऐसे में सायरन बजते ही सभी लोग सुरक्षित स्थान पर पहुंच दिए जाते हैं। ऐसे में तमाम मुश्किलों के बावजूद परिवार की खातिर यहां काम करने को जुटा रहना पड़ रहा है।



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