विनीत चतुर्वेदी

लखनऊ। हवा की सेहत दिवाली पर बिगड़ गई। सीजन के पहले स्मॉग से बुजुर्गों की सांसें फूलने लगीं। 2022 के मुकाबले इस बार ज्यादा प्रदूषण रहा। हालांकि पिछली दिवाली के मुकाबले सेहत को गंभीर नुकसान पहुंचाने वाले सूक्ष्म व अति सूक्ष्म कणों की मौजूदगी हवा में कम रही।

शनिवार को जारी भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान की रिपोर्ट के मुताबिक, दिवाली की रात लखनऊ की हवा में सेहत को गंभीर नुकसान पहुंचाने वाले अति सूक्ष्म कण पीएम-2.5 का स्तर 324 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा। राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक (नैक्स) के मानक के अनुसार इसे 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए।

सूक्ष्मकण पीएम-10 का स्तर 451 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा। इसे भी मानकों के अनुसार 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए। दिवाली के ठीक एक दिन पहले यानी बुधवार को यह 217 था। शुक्रवार की शाम केंद्रीय विद्यालय अलीगंज के इलाके में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 400 पार कर गया। ऐसी हवा को स्वास्थ्य के लिए बेहद खराब माना जाता है।

आंखों में जलन और सांस संबंधी तकलीफें बढ़ीं

प्रदूषण की वजह से हवा में सामान्य से ज्यादा धुएं और धूल (स्माॅग ) और सूक्ष्म कणों की मौजूदगी से मौसम के प्रति संवेदनशील लोगों को आंखों में जलन और सांस में तकलीफ महसूस होने लगी है। शनिवार की सुबह भी राजधानी में धुंध छाई रही। चिकित्सकों का कहना है कि सेहत को ऐसी हवा से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए मास्क पहनना चाहिए। बुजुर्गों को अनावश्यक बाहर नहीं निकलना चाहिए।

थोड़ा सुधरे… पर दूर रह गया 2022 का आंकड़ा

प्रदूषण को लेकर बीते साल के मुकाबले थोड़ी जागरुकता देखने को मिली है, लेकिन 2022 के मुकाबले अभी भी हालात खराब ही हैं। वर्ष 2022 में पीएम-10 का औसत स्तर 396 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था। वर्ष 2023 में यह 464 पहुंच गया था। इस साल थोड़े सुधार के साथ यह 451 दर्ज हुआ। इसी तरह पीएम-2.5 की बात करें तो वर्ष 2022 में यह 279 और वर्ष 2023 में 336 था। इसके मुकाबले इस साल यह आंकड़ा 324 रहा। अगर प्रदूषण के क्षेत्रवार आंकड़ों की बात करें तो 2023 और 2024 में आईआईटीआर ने विकासनगर, अलीगंज, चौक और अमीनाबाद से डेटा जुटाए। वहीं वर्ष 2022 में अलीगंज, गोमतीनगर, चारबाग और अमौसी से डेटा जुटाए गए थे।

अमीनाबाद-चौक में सबसे ज्यादा प्रदूषण

आईआईटीआर की रिपोर्ट के मुताबिक अमीनाबाद और चौक क्षेत्र में दीपावली के दिन सबसे ज्यादा प्रदूषण रहा। इन क्षेत्रों में पीएम-10 और 2.5 दोनों ज्यादा रहे।

जानिए, क्या खास है रिपोर्ट में

– आईआईटीआर के वैज्ञानिकों का कहना है कि साल-2023 के मुकाबले इस साल दिवाली पर आंशिक रूप से कम प्रदूषण दर्ज किया गया।

दिवाली के बाद अलीगंज में हवा की गुणवत्ता सबसे ज्यादा खराब रही। तालकटोरा और लालबाग की हवा भी लाल श्रेणी में रही।

दिवाली के दूसरे दिन यह रहा हाल

स्थान एक्यूआई

बीबीएयू- 289

गोमतीनगर- 173

केंद्रीय विद्यालय अलीगंज – 400

कुकरैल पिकनिक स्पाॅट- 326

लालबाग- 328

तालकटोरा- 378

– नोट : ये आंकड़े शुक्रवार शाम के हैं।

रिहायशी और व्यावसायिक इलाकों में ऐसे रहे हालात

भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान ने रिहायशी इलाकों में इस बार अलीगंज व विकासनगर और व्यावसायिक इलाकों में चौक और अमीनाबाद में दिवाली के मौके पर हवा और ध्वनि प्रदूषण का डेटा जुटाया। आईआईटीआर ने अपनी रिपोर्ट में 2015 से लेकर 2024 तक के प्रदूषण का पैटर्न भी जारी किया है।

सूक्ष्मकण पीएम-10 का स्तर कहां-कितना रहा

स्थान दिवाली से पहले (दिन-रात) दिवाली के दिन (दिन-रात) दिवाली के बाद (दिन-रात)

अलीगंज 161-199 183-397 192-257

विकासनगर 158-185 170-368 152-291

चौक 198- 230 272-485 279-325

अमीनाबाद 207- 253 279-552 257-330

अति सूक्ष्मकण पीएम-2.5 का स्तर

स्थान दिवाली से पहले (दिन-रात) दिवाली के दिन (दिन-रात) दिवाली के बाद (दिन-रात)

अलीगंज 61-93 127-261 89-195

विकासनगर 73-87 139-262 93-192

चौक 85- 132 151-395 130-252

अमीनाबाद 86- 143 148-379 135-237

(पीएम-2.5 व पीएम 10 के आंकड़े माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर में हैं। आंकड़े 30, 31 अक्तूबर व 1 नवंबर के हैं। आंकड़े हर दिन शाम छह बजे से सुबह 6 बजे लिए गए।)

विकासनगर में सबसे ज्यादा रहा शोर

दिवाली पर विकासनगर और अलीगंज में शोर का स्तर काफी ज्यादा पाया गया। अमीनाबाद और चौक का भी कमोबेश यही हाल रहा।

स्थान दिवाली से पहले (दिन-रात) दिवाली के दिन (दिन-रात) दिवाली के बाद (दिन-रात)

अलीगंज 70.1 – 69.4 79.7- 87.3 70.3 -80

विकास नगर 72.3 – 69. 7 80 – 89.1 75.1 – 80.3

चौक 73.1 – 73.5 81.2 – 87.2 79.5 – 82.1

अमीनाबाद 76 -72.9 83.5 – 86.9 83.1 – 86

(नोट : सभी आंकड़े डेसिबल में। डेटा रात 10 से 10:30 बजे के बीच के हैं। मानकों के अनुसार रात में आवासीय इलाकों में 45 और व्यावसायिक में 55 डेसिबल से अधिक शोर नहीं होना चाहिए।)

पछुआ से सुधरेगी सेहत

एक-दो दिन में पछुआ चलने से हवा की गुणवत्ता बेहतर हो जाएगी। सोमवार से वृहद स्तर पर मशीनों की मदद से पानी का छिड़काव किया जाएगा।

– यूसी शुक्ला, क्षेत्रीय अधिकारी, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड



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