कोंच। रबी की फसल की बुआई का समय अंतिम चरण में चल रहा है। केंद्रों पर खाद न मिलने से किसानों को अभी भी भटकना पड़ रहा है। आलम यह है कि बीस बोरी की जरूरत होने पर एक-दो बोरी खाद मुश्किल में मिल पा रही है।

मंगलवार को जुझारपुरा समिति पर 20-20 एनपीके खाद ही मिल रही है लेकिन और केंद्रों पर खाद नहीं है। पीसीएफ पर सुबह से ही ताला लटक रहा है। बाहर किसान सुबह से खाद के लिए डेरा डाले हैं।

किसान श्याम मोहन रिछरिया, प्यार मोहम्मद मंसूरी, पंकज निरजंन, हबीब मंसूरी, भरत पटेल, अंकुर पटेल, धनश्याम आदि का कहना है कि इस बार डीएपी खाद ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही है। केंद्रों पर खाद आते ही खत्म हो जाती है। किसानों को हर साल खाद के लिए भटकना ही पड़ता है। जिम्मेदार पहले से कोई प्लानिंग नहीं करते हैं। समय से खाद न मिलने से बुआई लेट हो रही है।

कहा कि कई जगह समिति संचालक ताला बंदकर चले गए हैं। केंद्रों पर हालत यह हैं कि किसी किसान को अगर बीस बोरी की जरूरत है तो उसे सिर्फ एक या दो बोरी ही मिल रही हैं। क्रय विक्रय केंद्र प्रभारी ऊषा तिवारी का कहना है कि सोमवार को चार सौ बोरी आई थी और आते ही वितरित कर दी गईं। आज डीएपी की एक भी बोरी नहीं है, डिमांड भेज दी गई है।

जुझारपुरा समिति के केंद्र प्रभारी राजेश शुक्ला का कहना है कि डीएपी खाद नहीं बची है। अभी 20- 20 एनपीके खाद किसानों को बांटी जा रही है। पीसीएफ केंद्र प्रभारी कमलेश कुमार का कहना है कि उनकी उरई गोदाम पर डयूटी है। अभी पीसीएफ केंद्र पर खाद उपलब्ध नहीं हैं, खाद आते ही वितरित की जाएंगी। ्



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