झाँसी-रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी के वैज्ञानिकों ने मटर में खरपतवार नियंत्रण की सलाह दी है। डॉ. अनिल कुमार राय और डॉ. योगेश्वर सिंह ने बताया कि फसलों की शुरुआती अवस्था में दिए जाने वाली खाद व जल का उपयोग करने पर खरपतवार मुख्य फसल को कमजोर करते हैं और उपज में भारी क्षति पहुँचाते हैं। शुरूआत में खेत का खरपतवार से मुक्त होना मटर की अच्छी उपज के लिए अति आवश्यक होता है। बथुआ, सेंजी, कृष्णनील, सतपती, दूब, जंगली मटर और अकरी आदि मटर के प्रमुख खरपतवार हैं। मटर की फसल में कम से कम दो निराई गुड़ाई की आवश्यकता होती है। पहली निराई 25 से 30 दिन में तथा दूसरी 60 से 70 दिनों पर करनी चाहिए। निराई के समय पौधे को उलटने पलटने से बचाना चाहिये, जिससे पौधे टूटें नहीं और अच्छा उत्पादन मिल सके। रासायनिक विधि से भी खरपतवार नियंत्रण किया जा सकता है। इसके लिए खरपतवारनाशी दवा क्युजालोफाप 40-50 ग्राम प्रति हैक्टेयर अथवा मेट्रीबुजिन 250 ग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से बुवाई के 15 से 20 दिन के बाद छिड़काव करंे। यदि किसान की फसल 35 से 40 दिन की हो गई है तो इमेजाथापायर 50 ग्राम को 500 लीटर पानी में प्रति हैक्टर की दर से छिड़काव करें। साथ ही यदि पौधे की बढ़वार नहीं हो रही है तो उसमें 1 प्रतिशत यूरिया के घोल का छिड़काव करें, जिससे पौधे के बढ़वार में तेजी आती है और फली जल्दी लगने लगती है।

By Admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अभी अभी की खबरें