बबीना(झांसी)-बबीना के भेल में ‘साहित्यकार एवं समाजसेवी सम्मान समारोह’ एवं काव्य संध्या का भव्य आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम अखिल भारतीय साहित्य परिषद के अध्यक्ष रामकुमार पांडेय की धर्मपत्नी स्वर्गीय पुष्पा पांडेय जी की द्वितीय पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित किया गया।

समारोह में नगर के गणमान्य साहित्यकार, समाजसेवी एवं विद्वान उपस्थित रहे। मुख्य अतिथि के रूप में धर्माचार्य आचार्य हरिओम पाठक ने अपने उद्बोधन में कहा, “साहित्य और समाजसेवा समाज की आत्मा हैं। जो लिखता है, वह अमर होता है, और जो सेवा करता है, वह पूज्य होता है।”

कार्यक्रम की अध्यक्षता सत्यप्रकाश ताम्रकार ने की, जबकि डॉ. प्रताप नारायण दुबे, डॉ. बृजलता मिश्रा एवं डॉ. रविश त्रिपाठी विशिष्ट अतिथि के रूप में मंचासीन रहे। ज्योति पाण्डेय जी ने डॉ. बृजलता मिश्रा को पुष्पमाला पहनाकर सम्मानित किया। इस भव्य आयोजन का सफल संचालन डॉ. राजेश तिवारी ‘मक्खन’ ने किया, जिन्होंने अपनी ओजस्वी वाणी से पूरे कार्यक्रम को प्रेरणादायी बना दिया।

साहित्यकारों का सम्मान एवं काव्य संध्या

काव्य संध्या में नगर के प्रतिष्ठित कवियों ने अपनी काव्य रचनाओं से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। सम्मानित साहित्यकारों में प्रताप नारायण दुबे, विजय प्रकाश सैनी, राम बिहारी सोनी ‘तुक्कड़’, रविश त्रिपाठी, डॉ. बृजलता मिश्रा, शरद मिश्रा, गुरुदेव दिनेश, बद्री यदुवंशी, गोपाल नारायण दुबे, सुधीर गुप्ता, अनिलेश सचान, मोहनलाल सोनी, वैभव दुबे, मो. आरिफ, प्रमोद खरे, हरिश्चंद्र जी सहित कई प्रतिष्ठित कवि शामिल रहे।

समाजसेवियों को मिला सम्मान

इस अवसर पर समाजसेवियों को भी सम्मानित किया गया। सम्मानित समाजसेवियों में प्रमुख रूप से किसान नेता प्रताप सिंह बुंदेला, सिमरावारी प्रधान प्रतिनिधि कोमल अहिरवार, अमित सोनी, विपिन गुप्ता, राजेश्वरी पटेल, काजू महाराज, महेंद्र कुमार गुप्ता, श्री अरविन्द तिवारी, मुन्ना लाल शर्मा, राकेश शर्मा, डी. एस. त्रिपाठी आदि शामिल रहे।

माँ के प्रति श्रद्धांजलि

डॉ. रामाकांत पांडेय ने अपने उद्बोधन में कहा, “यह आयोजन केवल सम्मान समारोह नहीं, बल्कि संस्कार, साहित्य और समाजसेवा की त्रिवेणी का प्रतीक है।”

सूर्यकांत पांडेय ने अत्यंत भावुक शब्दों में माँ के महत्व को व्यक्त करते हुए कहा, “माँ केवल एक रिश्ता नहीं, बल्कि वह शक्ति है जो हमें जीवन के हर मोड़ तक संवारती है। यह आयोजन माँ के प्रति हमारी श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक है।”

कार्यक्रम का समापन एवं आभार प्रदर्शन

समारोह के अंत में श्रीकांत पांडेय ने सभी साहित्यकारों, समाजसेवियों और अतिथियों के प्रति आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा, “माँ संतान की प्रेरणा, जीवन की आधारशिला और संस्कारों की अमिट धरोहर होती हैं। साहित्य अमरत्व की ओर ले जाता है और समाजसेवा मानवता का सच्चा धर्म है.

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