बबीना (झांसी)-
बबीना नगर में निजी विद्यालयों द्वारा शिक्षा को पूरी तरह व्यवसाय बना दिया गया है। अभिभावकों की शिकायतें सामने आ रही हैं कि ये विद्यालय स्थानीय दुकानदारों से मोटा कमीशन लेकर किताबें, कॉपियां और स्कूल ड्रेस की फ्रेंचाइजी बांटते हैं। इसका सीधा असर आम जनता की जेब पर पड़ रहा है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, विद्यालय प्रबंधन बच्चों की किताबें और यूनिफॉर्म सिर्फ उन्हीं दुकानों से खरीदने का दबाव बना रहे हैं, जिन्हें विद्यालय द्वारा अधिकृत किया गया है। बदले में दुकानदार विद्यालयों को मोटा कमीशन देते हैं। यह पूरा तंत्र गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए भारी आर्थिक बोझ बन गया है।

एक स्थानीय अभिभावक ने बताया, “स्कूल की बताई गई दुकान से किताबें-कॉपी लेने पर सामान्य बाजार से दोगुनी कीमत चुकानी पड़ती है। हम चाहें तो भी कहीं और से नहीं खरीद सकते क्योंकि स्कूल में वही सामग्री मान्य है जो बताई गई दुकान से ली गई हो।”

इससे न सिर्फ गरीबों का बजट चरमरा गया है, बल्कि शिक्षा के प्रति विश्वास भी डगमगा गया है। विद्यालयों के कुछ प्रबंधक और प्रिंसिपल इस व्यवस्था को खुलेआम चला रहे हैं, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह शिक्षा को एक ‘प्रॉफिट बिजनेस’ में बदल दिया गया है।

इतना ही नहीं, इन विद्यालयों और सहयोगी दुकानों द्वारा न तो जीएसटी बिल दिया जाता है और न ही किसी प्रकार का टैक्स चुकाया जाता है। करोड़ों की बिक्री होने के बावजूद सरकार को कर से वंचित किया जा रहा है।

जनता ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार से मांग की है कि ऐसे भ्रष्टाचार में लिप्त विद्यालयों और उनके संचालकों पर सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही, एक पारदर्शी व्यवस्था लागू की जाए जिससे गरीब भी सम्मानपूर्वक अपने बच्चों को शिक्षा दिला सके।

शिक्षा का यह व्यापारीकरण न केवल समाज के लिए खतरा है, बल्कि प्रदेश की तरक्की के मार्ग में भी बाधा है। यदि जल्द ही प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो शिक्षा के नाम पर शोषण का यह सिलसिला और गहराता जाएगा।

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