बहराइच महसी के जानकी नगर में सरयू नदी का रौद्र रूप सोमवार को भी देखने को मिला। 11 घरों को काटने के बाद नदी ने करीब 100 बीघे कृषि योग्य भूमि को भी अपने में समा लिया। पहाड़ों पर बारिश होने के बाद आए पानी के कारण कटान अभी जारी है। कटान पीड़ितों का आरोप है कि क्षेत्रीय लेखपाल उनकी मदद करने के बजाय कोई सहायता न देने की बात कर रहे हैं। वहीं जिम्मेदारी अधिकारी कटान स्थल पर पहुंचे ही नहीं। दीवार व छत नदी में समा जाने के बाद पीड़ित स्वयं नींव खोदकर ईंट को सुरक्षित कर रहे हैं।
नेपाल के पहाड़ों पर बारिश हो रही है। इसका पानी तेज बहाव के साथ सरयू नदी में आ रहा है। सोमवार को नदी अपने उफान पर रही। नदी शनिवार रात से ही कटान कर रही है। रात में ही 11 घर नदी में कट कर समा चुके हैं। यह कटान सोमवार को भी जारी रहा। नदी कृषि योग्य भूमि को भी काट रही है। सोमवार तक तीन दिन के अंदर नदी ने 100 बीघे भूमि को काट कर नदी में समाहित कर लिया। वहीं, इस भीषण आपदा के बाद भी प्रशासन की ओर से अभी तक इन कटान पीड़ितों तक कोई भी सहायता नहीं पहुंचाई गई।
ग्रामीण राजरानी, राजकुमारी, लज्जावती, किरन देवी, रमेश, नीरज, सुशील, गुल्ले हृदय राम ने बताया कि दो दिन पहले लेखपाल छोटे लाल आए थे। वह कह कर गए हैं कि कटान के लिए कोई सहायता नहीं मिलेगी। किसी तरह से गुजारा करो। वहीं नदी शनिवार से ही इस गांव पर लगातार हमला कर रही है, लेकिन न तो कोई तहसील का अधिकारी मौके पर आया और न ही जिले से ही कोई सहायता पहुंची।
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मलबा बटोर रहे कटान पीड़ित
दो पीढ़ी ने मिलकर जिस मकान को बनाया था। उसे सरयू नदी ने एक ही रात में काट कर अपने में समाहित कर लिया। अब उसके बचे अवशेष को कटान पीड़ित खोज रहे हैं। कुछ लोग बचे हुए हिस्से को खोदकर एकत्र कर रहे हैं। उन्हें यह उम्मीद है कि जब कभी प्रशासन उन्हें घर बनाने के लिए भूमि देगा तो यह मलबा उनके काम आएगा।
बसने के लिए नहीं कोई स्थान
जानकीनगर गांव में वैसे तो 95 घर थे, लेकिन अब वहां मात्र 13 घर बचे हैं। वो भी आधे-अधूरे। यहां के लोग कटान स्थल से 100 मीटर पीछे हटकर अपनी नई झुग्गी बना रहे हैं। लेकिन कटान को देख कर लगता है कि इस वर्ष आने वाली बाढ़ के दौरान यह झुग्गी भी कटान की जद में आ सकती है। ग्रामीणों की मांग है कि उन्हें बसने के लिए कोई सुरक्षित स्थान दिया जाए।
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झम की आवाज आते ही कांप जाती ग्रामीणों की रूह
नदी दिन रात कटान कर रही है। मिट्टी का भारी-भारी चिप्पा नदी में गिर रहा है। उसके गिरने से आने वाले झम की आवाज से कटान पीड़ितों को दिल बैठ जाता है। कटान पीड़ितों ने बताया कि जब भी मिट्टी का कोई हिस्सा नदी में गिरता है तो उनकी धान की फसल भी नदी में गिर जाती है।
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साहब तो आए, लेकिन आश्वासन देकर चले गए
जानकीनगर में कटान का मामला संज्ञान में लेते हुए एडीएम ने तहसीलदार व नायब तहसीलदार महसी को मौके पर भेजा गया था। वह करीब आधे घंटे कटान क्षेत्र में रहे। इस दौरान झुग्गी बनाकर रह रहे लोगों को न तो कोई राहत सामग्री दी और न ही उन्हें तिरपाल जैसी जरूरी सहायता ही दी। वे कोरा आश्वासन देकर लौट आए।
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सरयू में बढ़ा जलस्तर।
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एसडीएम महसी आलोक प्रसाद का कहना है कि कटान प्रभावित सात परिवारों को एक लाख 20 हजार रुपये गृह अनुदान के रूप में दिए जाएंगे। जिन्हें यह लाभ मिलना है। उनमें राम नरेश, लक्ष्मीदेवी, रामकुमार, बालक राम का नाम शामिल है। इसके अलावा सभी कटान पीड़ितों को राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है। छूटे चार लोगों की जांच कराई जा रही है।
एडीएम गौरव रंजन श्रीवास्तव का कहनाहै कि तहसीलदार को मौके पर भेजा गया है। उन्हें कटान प्रभावितों की सूची बनाकर तत्काल सहायता देने को कहा गया है। जिसका मकान नदी में कट गया ञै। उन्हें उसका मुआवजा मिलेगा।