इंसानों के लिए वह महज एक पीपल का पेड़ था मगर इसकी शाखाओं में अपना बचपन बिताकर घरौदे बनाने वाले परिदों की मानों दुनिया ही यही थी। तिनका-तिनका जोड़कर परिंदों ने अपने घरौंदे बनाए थे, जिनमें उनके नन्हे चूजे और अंडे भी थे। रविवार को कुछ इंसानों ने उनकी दुनिया ही उजाड़ दी। वन विभाग की टीम ने जलमुर्गियों और बगुलों को पहुज नदी में छोड़ दिया था, वह सोमवार को सुबह होते ही अपनों की तलाश में पीपल के आसपास मंडराने लगे। शायद उन्हें अपनें चूजों और अंडों की तलाश थी।
नगरा में मंगल दूध वाली गली में मंदिर के पास लगे 40 साल पुराने पीपल के पेड़ को बस्ती के कुछ लोगों ने काट डाला था। भारी भरकम पीपल की छांव तले सैकड़ों परिंदों के आशियाने थे। इनमें जलमुर्मी, बगुले, उल्लू, चिड़ियां, तोते सहित अन्य परिंदों के घरौंदे थे।
घनी शाखाओं में इंसानी करतूत से दर्जनों पक्षी के चूजे नष्ट हो गए। तमाम पक्षी भी इस पेड़ के साथ ही मर गए, लेकिन बस्ती के कुछ बच्चों और बड़ों की सजगता से वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर 120 जल मुर्गियों के साथ ही दर्जनों बगुलों की जान बचा ली थी। उन्हें रेस्क्यू करके निकट स्थित पहुज नदी के पास के जंगल में छोड़ दिया था। बस्ती के रामचरण और उनके बेटे शिवम ने बताया कि सोमवार की सुबह होते ही उनकी आंख पंछियों की चहचहाहट से खुली। छत पर जाकर देखा तो कई जलमुर्गी और बगुले उजड़े आशियाने (यानी पीपल के ठूंठ) के आसपास मंडरा रहे थे। मानो वह अपने चूजे और अंडों की तलाश करने आए हों।
जंगली उल्लुओं का बसेरा भी था
बगुलों, जलमुर्गी के साथ ही विलुप्त डल्लू प्रजाति के उल्लू का बच्चा भी मृत मिला था। डीएफओ नीरज आर्या ने बताया कि पेड़ काटने से 15-20 पक्षियों की मौत हुई थी, जिन्हें दफना दिया गया। वहीं, 200 से अधिक घायल बगुलों और जलमुर्गियों को उपचार देने के बाद आसमान में खुला छोड़ दिया। उन्होंने बताया कि विलुप्त प्रजाति जंगली उल्लुजों का भी एक बच्चा मृत मिला। इससे स्पष्ट है कि इस पर जंगली उल्लुओं का बसेरा था। इसकी जानकारी होने के बाद अब वन विभाग जंगली उल्लुओं की खोज कर रहा है।
पांच महिलाओं और दो युवकों को पकड़ा
पीपल के वृक्ष की शाखाओं को अवैध रूप से काटने के आरोप में प्रेमनगर पुलिस ने पांच महिलाओं और दो युवकों के खिलाफ वन्य जीव संरक्षण अधिनियम समेत अन्य धाराओं में नामजद रिपोर्ट दर्ज कर ली। पुलिस ने दबिश में नगरा के हाता प्यारे लाल, मंगल डेयरी के सामने से दीयांशी अग्रवाल, आरती अग्रवाल, सुमन अग्रवाल, भावना अग्रवाल, रंजना अग्रवाल, आदित्य अग्रवाल एवं सचिन अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि पेड़ के नीचे उनको कार खड़ी होती थी। बीट की वजह से उन लोगों ने उसे कटवाने का फैसला किया।
दो नामजद और कई अज्ञात लोगों पर केस दर्ज
वन रक्षक मनीज श्रीवास ने बिना अनुमति के पीपल के हरे पेड़ को काटने, उस पर रहने वाले पक्षियों की मौत होने पर प्रेमनगर थाने में नगरा के दिनेश आग्रवाल और महेंद्र अग्रवाल के अलावा अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराया है।
पेड़ के बारे में नगर निगम देगा जानकारी
वनाधिकारी ने बताया कि काटा गया पीपल का पेड़ नगर निगम के दायरे में है या फिर निजी जमीन पर था। इसकी जानकारी की जाएगी। पीपल, बरगद, नोम, महुआ, सागौन सहित ऐसी कई प्रजातियां हैं, जिनकी कटाई नहीं बल्कि छंटाई को भी अनुमति लेनी होती है। यदि पेड़ जड़ से सूख चुका है या फिर उसके गिरने का डर है तो विभाग अनुमति देकर वन निगम से उसकी कटाई या छंटाई करवाता है।
जंगलों के कटने से घने पेड़ को बनाते हैं आशियाना
बाज और चोल की तरह जंगली उल्लू भी विलुप्त होते जा रहे हैं। यह एक ऐसी प्रजाति है जो सुबह और शाम को आवाज करती है। इसके अस्तित्व को जंगल की कटाई और अन्य पर्यावरणीय बदलाव के कारण खतरा है। इसलिए अब यह प्रजाति शहरों के घने पेड़ों पर आशियाना बना रही है। इस प्रजाति को संरक्षित करने के लिए सरकार प्रयास में जुटी है।