जीएसटी की हेराफेरी का एक और बड़ा मामला सामने आया है। फर्जी दस्तावेज के आधार पर न केवल फर्म का पंजीयन कराया, बल्कि सरकार को 77.77 लाख रुपये का चूना लगाया। राज्य कर विभाग की एसआईबी जांच में हुए खुलासे के बाद सत्यापन में फर्जी फर्म की पुष्टि हुई।

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विभाग ने फर्म संचालक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए कोतवाली पुलिस को तहरीर दी है। नई दिल्ली उत्तम नगर निवासी काजल ने झांसी अलीगोल के पते पर 10 अप्रैल 2025 को सेंट्रल जीएसटी विभाग में अपनी फर्म का पंजीकरण कराया। उसने पहले कपड़ा और फिर स्क्रैप का कारोबार दर्ज कराया। फर्म का कारोबार चार करोड़ था। फर्म ने जो खरीद की उसके सापेक्ष बिक्री काफी अधिक थी। शक होने पर जांच की गई तो इस फर्म ने ऐसे कंपनियों से खरीद दिखाई थी, जिनका पंजीयन पहले से ही निरस्त था। आगे पड़ताल की गई तो फर्म के दस्तावेज भी पूरी तरह जाली निकले।

राज्य कर अधिकारी ने मौके पर निरीक्षण किया तो पता चला कि जीएसटी कार्यालय में दर्शाई गई फर्म वास्तव में थी ही नहीं। आरोपी व्यापारी ने कई फर्माें के साथ व्यापार दिखाते हुए 77.77 लाख रुपये की टैक्स चोरी की। डिप्टी कमिश्नर पुनीत अग्निहोत्री की ओर से थाना कोतवाली झांसी में शिकायत की गई। इसके साथ ही इस फर्म का पंजीयन भी राज्य कर विभाग की रिपोर्ट के आधार पर निरस्त कर दिया गया है।



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