सर्जरी के दौरान मरीजों को दी जाने वाली गैसों के दुष्प्रभाव अब कम हो सकेंगे। महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल काॅलेज के एनेस्थीसिया विभाग के चिकित्सकों ने नई और अपेक्षाकृत छोटी मशीन तैयार की है जो ऑपरेशन थियेटर में गैसों की शुद्धता और मात्रा को नियंत्रित कर प्राणवायु प्रदान करेगी। इस मशीन से गंभीर मरीजों पर गैसों का नकारात्मक असर घटेगा और ऑपरेशन के बाद उनका स्वास्थ्य तेजी से बेहतर होगा। यह तकनीक गैसों से सांस की समस्या समेत अन्य जोखिमों को काफी हद तक कम करेगी।
मेडिकल कॉलेज के एनेस्थीसिया विभाग के प्रोफेसर डॉ. अंशुल जैन ने बताया कि जब अस्पताल में किसी मरीज को पूर्ण रूप से बेहोश किया जाता है तो उसकी श्वांस नली में ट्यूब डालकर एनेस्थीसिया मशीन से सांस दी जाती है। सांस देने के लिए जिन गैसों का इस्तेमाल होता है, उनमें नाइट्रस ऑक्साइड, ऑक्सीजन और हवा शामिल है। क्योंकि, शत-प्रतिशत ऑक्सीजन देने के भी दुष्प्रभाव होते हैं। इसलिए इन गैसों का मिश्रण किया जाता है। अब डॉ. अंशुल के नेतृत्व में मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने पोर्टेबल कंप्रेशर विकसित किया है, जो मशीन में फिट हो जाता है। फिर मरीज को सांस देने के लिए वातावरण में मौजूद हवा पोर्टेबल कंप्रेशर के जरिये चिकित्सा वायु में परिवर्तित कर ऑक्सीजन के साथ पहुंचाई जाती है। ऐसे में नाइट्रस ऑक्साइड की जरूरत नहीं पड़ती है।
उन्होंने बताया कि अभी बाजार में इस तरह की जो मशीनें उपलब्ध हैं, वो काफी बड़ी होती हैं। उनको स्थापित करने में 25 से 30 लाख रुपये खर्च आता है। मगर उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर जो पोर्टेबल कंप्रेशर बनाया है, उसकी कीमत एक लाख से 1.20 लाख रुपये है। इसे एक्का-दुक्का ओटी वाले छोटे अस्पताल भी इसे खरीदकर इस्तेमाल कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि चिकित्सा वायु जीवाणु रहित होती है। इसमें आद्रता भी नहीं होती है। ऐसे में मशीन में अर्थिंग आने का खतरा भी नहीं रहता है। मशीन की प्रतिकृति तैयार हो चुकी है और ये परीक्षण में भी सफल पाई गई है। इसे एक भारतीय मेडिकल उपकरण निर्माता की मदद से तैयार किया गया है। इसे विकसित करने वाली टीम में सहायक प्राध्यापक डॉ. बृजेंद्र, डॉ. फहद सुहैल, रेजिडेंट डॉक्टर डॉ. पंकज, डॉ. निमिशा, डॉ. अंजलि शामिल हैं।
उपकरण की ये है खासियत
उपयोग के अनुसार मशीन खुद चिकित्सा वायु बनाती रहेगी। छोटी ओटी में भी आसानी से स्थापित किया जा सकता है। किसी भी एनेस्थीसिया मशीन से सीधे जोड़ा जा सकता है।
नाइट्रस ऑक्साइड के दुष्प्रभाव
लंबे उपयोग से विटामिन बी-12 की कमी, न्यूरो संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं, ऑपरेशन के बाद मरीज को मितली, उल्टी आ सकती, मेगालोब्लास्टिक एनीमिया का भी खतरा होता, ग्रीनहाउस गैस होने से पर्यावरणीय हानि पहुंच सकती।