
बुधवार रात 10 बजे वजीरगंज इलाके में डालीगंज स्थित छत्ते वाले पुल के पास बाजारखाला के जोशी टोला निवासी देवर-भाभी गगन जोशी (25) और रेखा (32) की स्कूटी में पीछे से आ रहे तेज रफ्तार डंपर की टक्कर लगने से मौत हो गई। गगन डालीगंज स्थित निजी अस्पताल में भर्ती भाई की बेटी से मिलने के बाद घर लौट रहे थे।
बृहस्पतिवार दोपहर पोस्टमार्टम के बाद उनके शव घर पहुंचे। परिजनों ने करीब दो बजे अंतिम संस्कार करने के लिए दोनों शवों को घर से निकाला और रास्ते में हैदरगंज तिराहे पर शव कर प्रदर्शन शुरू कर दिया। पुलिस को इसकी आशंका पहले से थी।
लिहाजा बाजारखाला पुलिस मृतकों के घर पहुंच गई थी। घर से शव यात्रा शुरू होने के दौरान पुलिस कार्रवाई से नाराज परिजनों और पुलिसकर्मियों के बीच नोंकझोंक और धक्कामुक्की हुई। खींचातानी में एक शव का कफन भी अस्तव्यस्त हो गया। इससे परिजन काफी आक्रोशित हो गए। इस बीच मची अफरातफरी में कई लोग चोटिल हो गए। इसी दौरान एक पुलिस कर्मी ने कंधा देने वाले परिजन का गला दबा दिया। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा।
पुलिस का कहना था कि शव यात्रा हैदरगंज तिराहे की तरफ से न ले जाएं, लेकिन परिजन नहीं माने और हैदरगंज तिराहे पर शव रख कर सड़क जाम कर दी। वो लगतार पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते रहे। पुलिस के काफी समझाने के बाद भी प्रदर्शकारी नहीं माने। उनका आरोप था कि पुलिस ने हादसे के बाद डंपर चालक को पकड़ लिया था लेकिन बाद में पैसे लेकर छोड़ दिया।
प्रदर्शन की वजह से तिराहे पर लंबा जाम लग गया लेकिन प्रदर्शनकारी पुलिस की कोई बात सुनने को तैयार नहीं थे। बवाल बढ़ता देख एसीपी वीरेंद्र विक्रम सिंह समेत कई थानों की पुलिस मौके पर पहुंच गई।
क्षेत्रीय पार्षद संतोष राय ने भी समझाने की कोशिश की लेकिन प्रदर्शनकरियों पर कोई असर नहीं हुआ।
प्रदर्शनकारियो की मांग थी कि मृतकों के परिजनों को सरकार 50 लाख रुपए नकद और सरकारी नौकरी दे। पुलिस ने लगातार समझाने का प्रयास किया पर लोग नहीं माने। इस बीच भीड़ में शामिल कुछ अराजक तत्वों ने माहौल खराब करने की कोशिश की उनके हाथों में पत्थर भी दिखाई दिए।
मौके पर एडीएम सिटी एमपी सिंह और एडीसीपी पश्चिम धनंजय कुशवाहा ने पहुंच कर मृतकों के परिजनों को उचित मांगे पूरी करने का आश्वासन दिया और ज्ञापन लेकर छह बजे प्रदर्शन खत्म कराया। इस दौरान करीब चार घंटे लोग भयंकर जाम से जूझते रहे। गगन की छह महीने पहले शादी हुई थी। वो मंदिर में पुरोहित थे।