दूरसंचार विभाग का संचार साथी एप व पोर्टल जहां खो गए या चोरी हुए मोबाइल की लोकेशन तक पहुंचने का सशक्त माध्यम बन चुका है, वहीं पुलिस महकमा इस तकनीकी मदद का पूरा लाभ उठाने में नाकाम नजर आ रहा है। हाईटेक संसाधनों से लैस राजधानी लखनऊ की पुलिस भी रिकवरी के मामले में छोटे जिलों से पिछड़ रही है।

प्रदेश में अब तक 1.52 लाख से अधिक फोन की लोकेशन ट्रेस हो चुकी है, लेकिन पुलिस केवल 30% यानी 45,631 फोन ही बरामद कर सकी है। आंकड़ों की बात करें तो रिकवरी में मामले में हाथरस जिला जहां प्रदेश में पहले स्थान पर है वहीं, लखनऊ पायदान में सबसे फिसड्डी है। हालांकि संचार साथी पोर्टल ने खोए व चोरी हुए फोनों के बेजा उपयोग पर लगाम जरूर लगा दी है। प्रदेश में इस पोर्टल पर रिपोर्ट किए गए ऐसे सभी 2.04 लाख फोन बंद किए जा चुके हैं।

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ऐसे काम करता है संचार साथी पोर्टल

अगर आपका फोन चोरी हो जाए या कहीं खो जाए तो उसके बेजा दुरुपयोग को रोकने के लिए आपको दूर संचार विभाग के संचार साथी एप एवं पोर्टल पर लॉगिन करना होगा। उसमें खो गए या चोरी हुए फोन को बंद कराने का ऑप्शन दिखाई देगा। इसमें फोन के संबंध में लिखवाई गई रिपोर्ट के साथ ही जरूरी डॉक्यूमेंट अपलोड करने के 24 घंटे के भीतर फोन काम करना बंद कर देगा। जैसे ही कोई व्यक्ति उसे ऑन करेगा अथवा दूसरा सिम डालेगा उसकी लोकेशन तुरंत पुलिस विभाग के माध्यम से संबंधित थाने की पुलिस तक पहुंच जाएगी। जिसके बाद पुलिस उसे बरामद कर लेगी।

दूरसंचार विभाग उत्तर प्रदेश पूर्वी के अपर महानिदेशक अरुण कुमार वर्मा का कहना है कि संचार साथी पोर्टल व एप अपराध रोकने में पुलिस के लिए काफी मददगार साबित हो रहा है। इसका सिस्टम सीधे पुलिस विभाग से जुड़ा है। इस पोर्टल के लांच होने से पहले फोन बरामदगी का प्रतिशत जहां बमुश्किल पांच फीसदी होता था जो अब बढ़ कर औसत करीब 30 फीसदी तक पहुंच गया है। कमजोर प्रदर्शन वाले जिलों में निगरानी व समन्वय को सशक्त करते हुए रिकवरी 50 फीसदी करने का लक्ष्य है। 



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