सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि एसआईआर लोगों के लिए मुसीबत का सबब बन गई है। आयोग ने 4 दिसंबर से 11 दिसंबर तक एसआईआर का समय बढ़ाकर कोई अपेक्षित काम नहीं किया है। समाजवादी पार्टी ने एसआईआर की समयावधि तीन महीने बढ़ाने की मांग की थी।

 इस व्यवहारिक और उचित मांग पर चुनाव आयोग ने कोई ध्यान नहीं दिया। उसे मतदाताओं की परेशानियों से कोई लेना-देना नहीं है। अखिलेश ने जारी बयान में कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े प्रदेश में एक महीने के अंदर लगभग 16 करोड़ मतदाताओं की गणना और सत्यापन संभव नहीं है। बीएलओ पर काम का अतिरिक्त दबाव है, जिसका असर उनकी शारीरिक व मानसिक स्थिति पर पड़ता दिखाई दे रहा है।

उन्होंने कहा कि इन स्थितियों में यह आशंका होती है कि चुनाव आयोग को अपनी साख, चुनाव की निष्पक्षता और पारदर्शिता की परवाह नहीं रह गई है। वह भाजपा सरकार के इशारे पर काम करने वाली संस्था बन गई है। बिहार में एसआईआर के दौर में लाखों लोग मताधिकार से वंचित रह गए। शक यही होता है कि कहीं उत्तर प्रदेश में भी होने वलो चुनावों के मद्देनज़र विपक्षियों के वोट काटने की साजिश तो नहीं हो रही है।

सपा अध्यक्ष ने कहा कि अभी तक उत्तर प्रदेश में आधा दर्जन से ज्यादा बीएलओ की मौत हो चुकी है। मतदाता वोट डालने से वंचित न रहें, इसके लिए चुनाव आयोग को भाजपा की किसी भी साजिश से सावधान रहना चाहिए।



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