NRHM scam: Two CMO was murdered then scam unveiled.

– फोटो : अमर उजाला

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राजधानी में परिवार कल्याण विभाग के दो सीएमओ डॉ. विनोद कुमार आर्य और डॉ. बीपी सिंह की हत्या की सीबीआई जांच शुरू होने के बाद प्रदेश के सबसे बड़े करीब सात हजार करोड़ रुपये के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) घोटाले का खुलासा हुआ। इसके बाद सीबीआई को 74 मुकदमे दर्ज करके हर पहलू को खंगालना पड़ा। सीबीआई जांच की आंच तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती तक भी पहुंची थी।

बता दें कि दोनों सीएमओ के हत्या के मुख्य आरोपी डिप्टी सीएमओ डॉ. वाईएस सचान की लखनऊ जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत की जांच भी सीबीआई ने की थी। हालांकि इसे आत्महत्या बताते हुए क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी थी। अदालत ने सीबीआई को इसकी पुनर्विवेचना करने का आदेश दिया है।

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सीबीआई जांच में पता चला कि डिप्टी सीएमओ परिवार कल्याण वाईएस सचान ने शूटरों को 5-5 लाख रुपये देकर दोनों सीएमओ की हत्या कराई थी। वह एनआरएचएम योजना के तहत तमाम फर्जी बिलों का भुगतान करा रहे थे। इस पर दोनों सीएमओ ने आपत्ति जताते हुए डॉ. सचान पर कार्रवाई शुरू कर दी थी। दोनों सीएमओ की हत्या के बाद सचान को गिरफ्तार किया गया, जिनका 22 जून 2011 को लखनऊ जेल के शौचालय में संदिग्ध परिस्थितियों में शव बरामद हुआ था। वहीं, दो सीएमओ की हत्या करने वाले आनंद प्रकाश तिवारी से बरामद दो पिस्टल और घटनास्थल से मिले खोखों की जब फोरेंसिक जांच कराई गई तो उनका मिलान हो गया।

कैग की रिपोर्ट में पांच हजार करोड़ रुपये का घोटाला

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में एनआरएचएम योजना में करीब 5 हजार करोड़ रुपये का घोटाला अंजाम देने का खुलासा हुआ था। प्रदेश को केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं के लिए छह वर्ष में 8,657 करोड़ रुपये दिए थे, जिसमें से अधिकांश रकम की बंदरबांट कर ली गई। रिपोर्ट के मुताबिक करीब 4,938 करोड़ रुपये नियमों की अनदेखी कर खर्च किए गए। बिना अनुबंध के 1,170 करोड़ रुपये के कार्य चहेती फर्मों को दिए गए थे। करीब दो हजार करोड़ रुपये के खर्च का तो हिसाब ही नहीं मिला था।

इस मामले में पूर्व मंत्री परिवार कल्याण बाबू सिंह कुशवाहा, मंत्री अनंत कुमार मिश्रा उर्फ अंटू, आईएएस प्रदीप शुक्ला समेत कई सीएमओ गिरफ्तार किए गए थे। वहीं, पूर्व विधायक आरपी जायसवाल व मुकेश श्रीवास्तव, लखनऊ के तत्कालीन सीएमओ एके शुक्ला समेत करीब 30 जिलों के सीएमओ, सीएमएस और 100 से ज्यादा डॉक्टर, दवा सप्लायर, नेत्र चिकित्सक, कंपनियों के संचालक, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के कई कर्मचारी, कई कार्यदायी संस्थाओं के इंजीनियर आदि भी जांच के दायरे में आई थे।

एक ही तरीके से अंजाम दी गई दोनों घटनाएं

दोनों सीएमओ की हत्या मार्निंग वॉक के दौरान हुई थी। बाइक पर आए शूटरों ने गोलियां बरसाकर उनकी हत्या की थी। इस मामले की एसटीएफ ने जांच करने के बाद आनंद प्रकाश तिवारी व अन्य के खिलाफ अदालत में आरोपपत्र भी दाखिल किया था। बाद में 27 जुलाई 2011 को सीबीआई ने दोनों हत्याओं का केस दर्ज कर विवेचना शुरू की।



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