राष्ट्रीय सर्पदंश नियंत्रण कार्यक्रम के तहत सीएचसी के डॉक्टर और फार्मासिस्ट को दिया प्रशिक्षण
अमर उजाला ब्यूरो
झांसी। सांप के डसने पर सीधे उपचार के लिए अस्पताल लेकर जाएं, समय बर्बाद न करें। पीड़ित को तनावग्रस्त न होने दें। घाव पर न मलहम लगाएं और न चीरा। जहर को मुंह से निकालने का प्रयास न करें। यह बात राष्ट्रीय सर्पदंश नियंत्रण कार्यक्रम के तहत आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण में चिकित्सकों ने कही।
सीएमओ कार्यालय सभागार में सोमवार को सीएचसी के डॉक्टरों और फार्मासिस्टों को प्रशिक्षण दिया गया। सीएमओ डॉ. सुधाकर पांडेय ने निर्देश दिया कि वह सर्पदंश पीड़ितों का उचित इलाज करें। इसके लिए ही हर सीएचसी से एक डॉक्टर और फार्मासिस्ट को प्रशिक्षित किया गया है। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एनके जैन ने बताया कि भारत में न्यूरोटॉक्सिन, वैस्युलोटॉक्सिन के सांप पाए जाते हैं। सर्पदंश पीड़ित का सीएचसी पर प्राथमिक उपचार जरूरी है। फेफड़ों में उल्टी जाने के जोखिम को कम करने के लिए रोगी को बाईं करवट से लिटाकर 108 एंबुलेंस से नजदीकी चिकित्सा इकाई पर ले जाएं।
प्रशिक्षक डॉ. अनुराधा राजपूत ने बताया कि सर्पदंश पीड़ित को झाड़-फूंक में समय नष्ट न करते हुए डॉक्टर के पास शीघ्र लेकर जाएं। सांप को मारने या पकड़ने का प्रयास ना करें। किसी प्रकार की उत्तेजक या दर्द निवारक दवाई नहीं दें। इस दौरान अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एनके जैन, डॉ. रमाकांत स्वर्णकार, डॉ. विजयश्री शुक्ला, आदित्य प्रकाश आदि रहे।