Worship of Kalam-Dawat with Lord Chitragupta

अमेठी के कायस्थाना मोहल्ले में भगवान चित्रगुप्त व कलम दवात की पूजा करते लोग। –

अमेठी सिटी। जिले में रविवार को भगवान चित्रगुप्त की जयंती पर जगह-जगह विविध धार्मिक कार्यक्रम आयोजित हुए। इस दौरान लोगों ने भगवान चित्रगुप्त के साथ कलम-दवात की पूजा-अर्चना की।

ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष श्रीवास्तव की अगुवाई में टीकरमाफी स्थित आवास पर भगवान चित्रगुप्त की जयंती पर कार्यक्रम हुआ। इस दौरान लोगों ने भगवान चित्रगुप्त के साथ कलम-दवात की पूजा की। इसके बाद प्रसाद बांटा गया। संगोष्ठी में संतोष श्रीवास्तव ने कहा कि हिंदू देवताओं में प्रमुख भगवान चित्रगुप्त स्वर्ग और नरक के पात्रता दाता है। वेदों और पुराणों के अनुसार धर्मराज (यमराज) के साथ भगवान चित्रगुप्त मनुष्यों के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखते हैं, जिसके आधार पर मनुष्य स्वर्ग और नरक का अधिकारी होता है।

वेदों के अनुसार कायस्थ का उदगम श्रृष्टिकर्ता भगवान ब्रह्मा ने अपनी काया (ध्यान योग) की संपूर्ण अस्थियों से बनाया था, तभी इनका नाम कायस्थ पड़ा। कायस्थ जाति भारत वर्ष में रहने वाले हिन्दू समुदाय की एक जातियों का वांशिक कुल है। कहा कि कायस्थ प्रशासनिक कार्यों का सफल निर्वहन करने वाले और उच्च कोटि के सलाहकार माने जाते हैं। इस मौके पर डाॅ. शरद श्रीवास्तव, प्रवीण श्रीवास्तव, हर्षित श्रीवास्तव, क्षितिज श्रीवास्तव, डॉ. अंशु श्रीवास्तव, पल्लवी श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।

वहीं, अमेठी में कायस्थाना मोहल्ले में अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के हरिकेश श्रीवास्तव की अगुवाई में भगवान चित्रगुप्त का पूजन-अर्चन किया गया। करौंदी में भी अशोक श्रीवास्तव, डॉ. राजेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव, राजीव श्रीवास्तव ने भी पूजन किया। अधिवक्ता प्रदीप श्रीवास्तव की मौजूदगी में कार्यक्रम आयोजित हुआ। इसके अलावा पूरे शीतल में कायस्थ समाज के लोगों ने पूजन-अर्चन किया। गौरीगंज में पूर्व सभासद समाजसेवी सतीश श्रीवास्तव की अगुवाई में भगवान चित्रगुप्त का पूजन किया गया। इस मौके पर दीपक श्रीवास्तव, रजनीश श्रीवास्तव, आशीष श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे। मुसाफिरखाना क्षेत्र के दादरा गांव में कायस्थ समाज के लोगों ने विधिविधान से भगवान चित्रगुप्त की पूजा की। दादरा गांव में कायस्थ परिवार के सभी लोग एक स्थान पर एकत्र हुए। लोगों ने कलश स्थापित कर पूजा-अर्चना की। मंत्रोच्चार के बीच हवन हुआ।



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