प्रदेश में चिकित्साधिकारी सामुदायिक स्वास्थ्य (एमओसीएच) का मामला सोमवार को विधानसभा में उठा। मांग की गई कि एमओसीएच को दो विभागों में रखने के बजाय एक विभाग में रखा जाए और इन्हें अन्य चिकित्सकों की तरह ही पदोन्नति भी दिया जाए।
मालूम हो कि अमर उजाला ने सिलसिलेवार खबरें प्रकाशित करके बताया था कि एमओसीएच की नियुक्ति आयुष विभाग में होती है, लेकिन वे काम स्वास्थ्य विभाग के अधीन करते हैं। ये जिस पद पर भर्ती होते हैं।
करीब 30 साल की सेवा के बाद उसी पद से सेवानिवृत्ति हो जाते हैं। आयुष एवं स्वास्थ्य विभाग के अधीन होने की वजह से इनकी जिम्मेदारी दोनों विभाग एक दूसरे पर टालते रहते हैं। एमओसीएच को स्वास्थ्य विभाग के अधीन करने के लिए कई बार आदेश भी हुए, लेकिन नतीजा नहीं निकला।
इन खबरों को लेकर सपा विधायक डा. आरके वर्मा ने सोमवार को सदन में सवाल किया। उन्होंने पूछा कि प्रदेश में कार्यरत एमओसीएच के साथ अन्याय क्यो किया जा रहा है? क्या सरकार के पास इनके लिए कोई नीति है। ये भारत सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं। समान कार्य के बाद भी इनके साथ दुर्भावना क्यों रखी जा रही है। स्थानंतरण में भी इनके साथ भेदभाव किया जाता है।
