‘न्याय, सुरक्षा, साक्ष्य’ अधिनियम लागू पर दी जानकारी,
क्षेत्राधिकारी सदर स्नेहा तिवारी ने ग्रामीणों को बताया कि इन कानूनो में शामिल है तकनीकें
बबीना (झांसी)-थाना परिसर में जागरूकता बैठक को संबोधित करती क्षेत्राधिकारी सदर स्नेहा तिवारी।पहली जुलाई अब तक की तारीखों में सबसे अलग रही। सोमवार को तीन नए कानून (भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनयम) लागू हो गए। इसको लेकर गांवों से शहर तक थानों में जागरुकता कार्यक्रम हुआ। जिसमें पुलिस के आला अफसरों, अधिनस्थों, थाना प्रभारी लोगों के बीच पहुंचे। थानों में बैठक कर बताया कि इन कानूनों में अत्याधुनिकतम तकनीकों को शामिल किया गया है। बबीना में जागरूकता बैठक में क्षेत्राधिकारी सदर स्नेहा तिवारी ने बताया कि इन तीन कानूलों में बदलाव कर पहली बार बार ई-एफआईआर हो सकेगी। इसमें सात दिन में फैसला, ऑन लाइन उपलब्ध कराना जरूरी होगा। वक्ताओं ने कहा कि तीनों नये कानूनों में महत्वपूर्ण बदलावों पर विस्तार से लोगों को समझाया और कहा कि ये नये कानून आम लोगों की सुविधा के लिए बनाए गए हैं। कार्यक्रम में बबीना थाना प्रभारी अरुण कुमार तिवारी,पूर्व जिलापंचायत सदस्य भारत सिंह बॉबी यादव,बड़ोरा प्रधान धर्मेंद्र राय डब्बू,सराफा एसोसिशन अध्यक्ष आशीष जैन कल्लन,मनोज यादव,भोलू कुरैशी,मनोज गुप्ता नाना,विनय वाल्मीकि आदि मौजूद रहे।
ककरवई (झांसी)- पुराने कानून का भारत में हुआ अंत कानूनी प्रक्रिया हुई तेज नियमों में हुआ सुधार नए भारत के नए बनाए गए कानून के संबंध में लोगों को जानकारी देने के लिए कस्बा एवं क्षेत्र के गणमान्य नागरिकों, ग्राम प्रधानों की बैठक थाना अध्यक्ष विनय कुमार साहू की अध्यक्षता में संपन्न हुई। थाना अध्यक्ष ने जानकारी देते हुए बताया कि अपराध की सूचना प्राप्त होते ही घटनास्थल पर ही बिना विचार किये होगी एफआईआर दर्ज। छोटे अपराधों के लिए सामुदायिक सेवा भी दंड के रूप में हुई शामिल। राजद्रोह के कानून को पूरी तरह से किया गया निरस्त, मृत्युदंड को अब आजीवन कारावास में ही बदला जा सकेगा आजीवन कारावास को 7 वर्ष की सजा में बदला जा सकेगा। आतंकवाद को अब बनाया गया दंडनीय अपराध संगठित अपराध के खिलाफ नई दांडिक धारा जोड़ी गई सिंडिकेट की विधि विरुद्ध गतिविधियों को बनाया गया दंडनीय, भारत की एकता और अखंडता के विरुद्ध किए गए कृत्य नए प्रावधानों में शामिल। सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक कृत्य एवं अलगाववादी गतिविधियां भी हुई शामिल। 7 वर्ष य उससे अधिक सजा वाले सभी अपराधों में फॉरेंसिक जांच अनिवार्य होगी सभी राज्यों में एवं संघ राज्य क्षेत्रों में फॉरेंसिक जांच का इस्तेमालहोगा, 5 वर्ष के अंदर राज्य एवं संघ राज्य क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर जरूरी होगा। आईपीसी की धाराऐं बदली गई है उसके बारे में बताया गया। इस मौके पर एस आई हरनाम सिंह, एस आई अजय सिंह, एस आई अजय यादव, सत्य प्रकाश तिवारी, लोकेंद्र सिंह परिहार, गोविंद प्रताप सिंह, आत्माराम यादव, साहब सिंह यादव, कथूले प्रसाद, पुष्पेंद्र सिंह परिहार, मनोहर यादव, रोहित द्विवेदी कालू मिश्रा, राजकुमार, मकरंद सिंह परिहार, रवि प्रताप बुंदेला, ओपी सिंह बुंदेला शहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।