झांसी- मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में पिछले एक साल से क्रिकेट का कोच नहीं है.इसके चलते स्टेडियम में प्रशिक्षण के लिए आने वाले खिलाड़ी खुद ही अभ्यास कर रहे हैं.कई बार शिकायत के बाद भी कोच की तैनाती नहीं की गई है. इसका असर खिलाड़ियों के खेल पर पड़ रहा है।

हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद स्टेडियम बदहाल व्यवस्था की मार झेल रहा है. नियमित निगरानी न होने के कारण स्टेडियम का बास्केटबॉल कोर्ट कचरा घर में तब्दील हो गया है। मैदान की घास भी बढ़ी हुई है.इससे एथलेटिक्स खिलाड़ियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.वहीं, स्टेडियम में कई खेलों के कोच ही नहीं हैं.इसके चलते खिलाड़ी निजी संस्थानों का रुख कर रहे हैं.कोच न होने से सबसे अधिक परेशानी का सामना क्रिकेट खिलाड़ियों को करना पड़ रहा है.लगभग एक साल से क्रिकेट कोच न होने के कारण खिलाड़ी खुद ही अभ्यास करने पर मजबूर हैं। कई बार शिकायतों के बाद भी कोच की नियुक्ति नहीं की गई है.


स्टेडियम में सुविधाओं के साथ ही कोच का अभाव है लेकिन स्टेडियम प्रबंधन को कोई चिंता नहीं है.जनप्रतिनिधि भी चुप्पी साधे हुए हैं। इससे खिलाड़ियों का भविष्य अंधकार में है। एक साल से क्रिकेट का कोच ही नहीं है.इस मुद्दे पर जल्द ही अहम कदम उठाया जाएगा – अजय मिश्रा, सचिव जेडीसीए


स्टेडियम में क्रिकेट कोच की नियुक्ति के लिए स्टेडियम प्रबंधन की ओर से पहल की जा चुकी है.क्रिकेट कोच नहीं होने से सीधा असर खिलाड़ियों के खेल पर पड़ रहा है.खेल निदेशालय से जल्द ही क्रिकेट कोच मिलने की संभावना है. क्रिकेट खेल का कोच न होने के कारण खिलाड़ी मायूस हैं – बृजेंद्र यादव, सचिव जिला क्रिकेट संघ झांसी


खेल प्रोत्साहन राशि से की जा सकती है कोच की नियुक्ति


खेल प्रोत्साहन धनराशि से स्टेडियम के जिम ट्रेनर को मानदेय तो दिया जाता है.स्टेडियम प्रबंधन की ओर से कोच की नियुक्ति की प्रक्रिया खेल निदेशालय से होने की बात कही जाती है लेकिन खेल जानकारों के मुताबिक स्टेडियम प्रबंधन कोच की नियुक्ति कर खेल प्रोत्साहन राशि से मानदेय अदा कर सकता है.

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