राजधानी लखनऊ में एलडीए की मोहान रोड योजना के लिए कलिया खेड़ा गांव के किसानों की जमीन अधिग्रहीत की गई है। इनमें शामिल हीरा लाल रावत (55) की रविवार रात मौत हो गई। परिवारीजनों का आरोप है कि खेत, मकान की जमीन पर कब्जे को लेकर एलडीए की कार्रवाई से लगे सदमे ने उनकी जान ले ली। परिजनों ने शव के साथ सोमवार को एक घंटे प्रदर्शन किया। किसान नेता और इंस्पेक्टर काकोरी ने लोगों को शांत करवाकर किसान का उसके खेत में ही अंतिम संस्कार करवाया।

एलडीए प्रशासन ने आरोप को गलत बताया है। अधिकारियों ने कहा, जानकारी कराने पर पता चला है कि किसान बीमार था और उसका इलाज चल रहा था। मौत से एलडीए का संबंध नहीं है।

मकानों को गिराने के लिए चिह्नित किया था

किसान नेता मनीष यादव ने बताया कि एलडीए ने अधिग्रहीत जमीन के दायरे में आने वाले मकानों को गिराने के लिए रविवार को चिह्नित किया था। इसमें हीरा लाल का भी मकान था। दो दिन पहले एलडीए ने उसके खेत की सवा बीघा गेहूं की फसल पर बुलडोजर चलवा दिया था। इससे हीरालाल सदमे में थे। बेटे नीरज ने बताया कि देर रात करीब तीन बजे अचानक तबीयत बिगड़ने पर पिता को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई।

पीड़ित परिवार से मिले पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री

पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर ने हीरालाल के घर पहुंचकर परिवार को सांत्वना दी। एलडीए वीसी को फोन कर कहा कि एलडीए ने बात हो जाने के बावजूद आबादी में आने वाले मकानों को ध्वस्तीकरण के लिए चिह्नित किया। पूर्व मंत्री ने कहा कि आबादी में बने मकानों को नहीं गिराया जाएगा। पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद दिलाने का आश्वासन भी दिया।

नहीं तोड़े जाएंगे घनी आबादी के मकान : वीसी

एलडीए वीसी प्रथमेश कुमार ने कहा, किसानों की मांग पहले ही मान ली गई है। एसडीएम शशिभूषण पाठक ने रविवार को किसानों से कहा भी था कि उनकी फसल, पेड़ और मकानों का मुआवजा मिलेगा। जो मकान घनी आबादी में आएंगे, उन्हें नहीं तोड़ा जाएगा।



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