Lucknow High Court: Monitoring petition filed by Pawan Kheda rejected, case of comment on Modi's father

कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा।
– फोटो : amar ujala

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिता पर अशोभनीय टिप्पणी कर जानबूझकर अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी के नाम के साथ जोड़ने के मामले में सीजेएम कोर्ट द्वारा डिस्चार्ज अर्जी खारिज करने के आदेश के विरुद्ध कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा की ओर से दाखिल निगरानी याचिका को एमपी/एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश हरबंस नारायण ने खारिज कर दिया है।

एमपी एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश हरबंश नारायण के समक्ष निगरानीकर्ता ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट लखनऊ के 5 जनवरी 2024 के आदेश को चुनौती दी थी। जिसमें उन्होंने राज्य सरकार के अलावा भारतीय जनता पार्टी के महानगर अध्यक्ष शंकर लाल शर्मा को पक्षकार बनाया था। विशेष अदालत ने अपने निर्णय में कहा है कि निगरानी कर्ता के विरुद्ध विभिन्न जिलों एवं राज्यों में जो प्रथम सूचनाए दर्ज हुई है उनसे संज्ञेय अपराध का होना पाया जाता है। इसके अलावा स्थानीय थाना हजरतगंज पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र को भी निगरानीकर्ता ने माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी थी। जिसमें उच्च न्यायालय ने किसी भी प्रकार से हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था तथा उसे आदेश दिया था कि वह निचली अदालत के समक्ष अपने तर्क प्रस्तुत करें।

पवन खेड़ा की ओर से दी गई निगरानी याचिका का विरोध करते हुए विशेष अधिवक्ता रमेश कुमार शुक्ला एवं एडीजीसी ज्वाला प्रासाद शर्मा का तर्क था कि आरोपी पवन खेड़ा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं और वह सरकार के पूर्व राजनीतिक सचिव के पद पर 1998 से 2013 तक रह चुके हैं। विरोध के दौरान कहा गया है कि पवन खेड़ा ने अपने पदीय कर्तव्य में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिता का नाम दामोदर दास मूल चंद्र मोदी की जगह दुराशय से नरेंद्र गौतम दास मोदी लिया था।

अदालत को बताया गया कि पवन खेड़ा के इन आपत्तिजनक वक्तव्यों को लेकर 20 फरवरी 2023 को बनारस के थाना कैंट एवं जनपद लखनऊ के थाना हजरतगंज के अलावा 22 फरवरी 2023 को असम के थाना हाफ लॉन्ग में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। अदालत को बताया गया कि निगरानी कर्ता ने भिन्न-भिन्न थानों में दर्ज एफआईआर को माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई थी। 

जिस पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 20 मार्च 2023 को सभी रिपोर्ट को जनपद लखनऊ के थाना हजरतगंज में स्थानांतरित कर दिया था। जहां पर विवेचना के उपरांत आरोपी पवन खेड़ा के विरुद्ध आरोप पत्र सीजेएम लखनऊ की अदालत में दाखिल किया गया था। अदालत को यह भी बताया गया कि आरोप पत्र एवं एफआईआर को खंडित करने के लिए पवन खेड़ा की ओर से उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ पीठ के समक्ष याचिका भी दायर की गई थी। जिस पर न्यायालय ने निगरानी कर्ता को कोई राहत नहीं दी थी।

 



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